Top romance कविता

आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे,
जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है...!!!
***

Best poem copied
*****
कविता
1
बारिश की चंद बूँदो से
धरती की प्यास बुझती नही,
जो हर बार लौट आती है
वो शाम है की ढलती नही !!

बेसब्र से अरमानो को
क्यू आस कोई मिलती नही,
उलझनो की कशमकश मे
अब बात कोई बनती नही !!

जो हर बार लौट आती है
वो शाम है की ढलती नही !!

बेजुबां से एहसास जो
पलको पे अब पलते नही,
रात की खामोशियो मे
कोई नज्म अब घुलती नही !!

जो हर बार लौट आती है
वो शाम है की ढलती नही !!
😍

3
नवम्बर की गुलाबी शाम का
तुम्हारे छूने से
सुर्ख लाल रात हो जाना
याद आता है,

सुरमई बादल में लपटा चाँद
और चाँदनी रंग की
ओस की बूँदों का बरसना
छत पर बाते करते  हुए ये देखना
याद आता है,

चाय की प्याली हाथ में लिए
खिड़की खोल के
तुम पर सूरज फेंकना
याद आता है ।
फ़ोन पर ही सही पर ये सारी संजोयी
 सपने बहुत याद आता है।

चले भी आओ अब
ज़िन्दगी की सफेदी
यादों से रंगीन नहीं होती
बिस्तर की नीली चादर पे
हमारा वो इंद्रधनुष बनाने वाली बातें
याद आता है ।

2
जिस रोज चले जायेंगे
तो तलाश करोगे मुझे,
जब याद बहुत आयेंगे
तो तलाश करोगे मुझे !!

रंजिश जो कर ली है मुझसे
मोहब्बत छोड़कर,
जब तक पहचान पाओगे
तो तलाश करोगे मुझे…

वो साथ बिताये लम्हे, वो खुशनुमा शामे
सुबह के उस "बोसे" के लिये
जब तरस जाओगे
तो तलाश करोगे मुझे…

चिढने जो लगे हो यूँ
बातो से मेरी,
इक दिन यही याद करके पछताओगे
तो तलाश करोगे मुझे…

पल्को पर आँसू
ख्वाबो को अधूरा छोड़कर,
फ़िर ख्याली पुलाव पकाओगे
तो तलाश करोगे मुझे…

मेरी जिद्द,तकरार,इंकार
इकरार,गुस्सा
जब तक समझ पाओगे
तो तलाश करोगे मुझे…

नजाकत इश्क की
नही मुझमे शायद,
पर उन नखरो मे मोहब्बत पाओगे
तो तलाश करोगे मुझे…

जिस रोज चले जायेंगे
तो तलाश करोगे मुझे,
की फ़िर लौटकर ना आयेंगे
तो तलाश करोगे मुझे !!!
3
प्रतीक्षा -हरिवंश राय बच्चन

मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता?
मौन रात इस भाँति कि जैसे, को‌ई गत वीणा पर बज कर,
अभी-अभी सो‌ई खो‌ई-सी सपनों में तारों पर सिर धर
 और दिशा‌ओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,
कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता?

तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आनेवाले,
पर ऐसे ही वक्त प्राण मन, मेरे हो उठते मतवाले,
साँसें घूम-घूम फिर-फिर से, असमंजस के क्षण गिनती हैं,
मिलने की घड़ियाँ तुम निश्चित, यदि कर जाते तब क्या होता?

उत्सुकता की अकुलाहट में, मैंने पलक पाँवड़े डाले,
अम्बर तो मशहूर कि सब दिन, रहता अपना होश सम्हाले,
तारों की महफ़िल ने अपनी आँख बिछा दी किस आशा से,
मेरे मौन कुटी को आते तुम दिख जाते तब क्या होता?

बैठ कल्पना करता हूँ, पगचाप तुम्हारी मग से आती
 रग-रग में चेतनता घुलकर, आँसु के कण-सी झर जाती,
नमक डली-सा गल अपनापन, सागर में घुलमिल-सा जाता,
अपनी बाहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता?
4a

सुंदरता की मुरत नही कहेंगे…
कोई अनोखी सूरत नही कहेंगे…
कंपकपाते होंठों को गुलाब की
पंखुड़ियों का का गुलदस्ता नही कहेंगे…
हर कोई कहता है
तो फिर हम भी चाँद सीतारों
सा तुम्हे सस्ता नही कहेंगे…
जिस पर चल को पहुंच जायें
मंज़िल के पड़ाव पर
तुम्हे इस्तेमाल होने वाला रस्ता नही कहेंगे…
हर कोई जिसे पा लेता है
फूलों का वो गुल्दस्ता नही कहेंगे…
ज़मीं से मिलने को तड़पता है जो…
वो बादरी सा तरस्ता नही कहेंगे…
क्योंकी…
तुम सुंदरता की अभिव्यक्ती से
बहुत ऊपर की सूरत हो…
तुम बिना आकार रूह में समाई
हुई रब के रूप सी मूरत हो…
तुम लफ्ज़ हो मेरी शायरी कविता कहानियों की…
तुम देन हो मेरे स्वपन में संभली निशानियों की…
तुम चाँद तारे जिस में समाये मेरा वो ब्रह्माण्ड हो…
तुम तुम नही मुझ में समाया मेरा घमन्ड हो…
तुम फूल नही संपूर्ण प्रकृति का स्वरूप हो…
तुम ही छाँव बादल सहरा तुम्ही धूप हो…
तुम हर तारीफ से परे का लफ्ज़ हो…
मैं ज़िंदा हूं तुम्हारी वजह से…
क्योंकी तुम ही धड़कन साँसें और नब्ज़ हो…
मेरे हर गीत का सुर हो…
मेरे हर शब्द की आवाज़ हो…
तुम ही मेरा कल तुम ही मेरी आज हो…
मैं धुन हूं तो तुम साज हो…
मेरा हर राज़ हो…
अब समझ लो तुम क्या हो मेरे लिये…

4
आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए
हमको ले आई मोहब्बत आपकी हम आ गए

अपने आने का सबब हम क्या बताएँ आपको
बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए

हम है दिलवाले भला हम पर किसी का ज़ोर क्या
जायेंगे अपनी ख़ुशी अपनी ख़ुशी हम आ गए

कहिये अब क्या है चराग़ों की ज़रुरत आपको
लेके आँखों में वफ़ा की रौशनी हम आ गए

5
मेरी हर एक धड़कन पे,
तेरा नाम मैं लिखता हूँ
आती- जाती साँसो से,
तेरा हाल मैं पूछता हूँ
तुझको याद किये बिना अब तो
ईक पल भी ना मैं रहता हूँ
काश तुझे एहसास ये हो
तुझे कितना प्यार मैं करता हूँ

तुझे सोच के जो मुस्कुराता हूँ
सब कहते हैं दिवाना हूँ
तु कोई जलती शम्मा है
मैं तुझपे मरता परवाना हूँ
और कोई भी ख्वाहिश नहीं मेरी
इक तुझे पाने का अरमां रखता हूँ
काश तुझे कोई बतला दे
तुझे कितना प्यार मैं करता हूँ

वो हवा महकने लगती है
तुझे छूकर जो गुजरती है
कितनी गर्म होती है वो किरण भी
तेरे रूप से जो जलती है
बादल भी तेरे आशिक़ है
तेरी चाह में जो पिघलते हैं
तेरे बदन से छू जाने को
बूँद बन के बरसते हैं
मैं भी रब को भूला कर अब
तेरी ईबादत करता हूँ
काश तुझे कोई बतला दे
तुझे कितना प्यार मैं करता हूँ।।

6
जीवन कभी सूना न हो
कुछ मैं कहूँ, कुछ तुम कहो।

तुमने मुझे अपना लिया
यह तो बड़ा अच्छा किया
जिस सत्य से मैं दूर था
वह पास तुमने ला दिया

अब ज़िन्दगी की धार में
कुछ मैं बहूँ, कुछ तुम बहो ।

जिसका हृदय सुन्दर नहीं
मेरे लिए पत्थर वही ।
मुझको नई गति चाहिए
जैसे मिले वैसे सही ।

मेरी प्रगति की साँस में
कुछ मैं रहूँ कुछ तुम रहो ।

मुझको बड़ा सा काम दो
चाहे न कुछ आराम दो

लेकिन जहाँ थककर गिरूँ
मुझको वहीं तुम थाम लो ।
गिरते हुए इन्सान को
कुछ मैं गहूँ कुछ तुम गहो ।

संसार मेरा मीत है
सौंदर्य मेरा गीत है

मैंने कभी समझा नहीं
क्या हार है क्या जीत है
दुख-सुख मुझे जो भी मिले
कुछ मैं सहूँ कुछ तुम सहो ।

7
मेरी जिंदगी की ग़ज़ल हैं आप
मेरे हरे-भरे खेतों की फसल हैं आप


मेरे रोजमर्रा की जिंदगी की चहल-पहल हैं आप
जिंदगी की धूप में अमलताश की छांव हैं आप

घने अंधेरे और कोहरे में सूरज की आफताब हैं आप
आशा है विश्वास है‍ जिंदगी जीने का अंदाज हैं आप

सुख-दुख में हमसफर हैं और जीवन के
तमाम झंझावातों के बीच मुस्कराने का
नया अंदाज हैं आप

बेला की सुगंध हैं आप, पीपल की छांव हैं आप
सुख-दुख के धूप-छांव में
किसी मीठे गाने की सुरताल हैं आप।
8
मुझे तो बस एक तुम्हारा ही साथ चाहिए,
थामने के लिए मुझे तुम्हारा हाथ चाहिए,
.
छोड़ तो ना दोगे तुम मुझे बीच राह में कहीं?
बिन तुम्हारे ना सुबह और ना शाम चाहिए,
.
जिस बारिश के बीच बस तुम ही हो संग मेरे,
मुझे रो बस सावन की वो ही बरसात चाहिए,
.
आओगे तुम जिस रात ख्वाबों में मेरे करीब,
जीवन में बस वो ही सपनों वाली रात चाहिए,
.
ना साँसों की ज़रुरत ना ज़रुरत धड़कनों की,
हर पल हर घड़ी बस तेरा ही दीदार चाहिए,
.
गम नहीं गर हासिल ना हो खुशियाँ मुझको,
मुझे बस सिर्फ तू और तू ही हर बार चाहिए...........

9
कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरी चाँद की रात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
परियों की महफ़िल हो
कोई तुम्हारी बात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
ये नरम मुलायम ठंडी हवाएँ
जब घर से तुम्हारे गुज़रें
तुम्हारी खुश्बू चुरायें
मेरे घर ले आएँ

कभी यूँ भी तो हो
सूनी हर महफ़िल हो
कोई ना मेरे साथ हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से

कभी यूँ भी तो हो
तन्हाई हो दिल हो
बूंदे हों बरसात हो
और तुम आओ

10

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
जिन्दगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में उसे
क्या जरूरी उसे जिस्म बनाकर देखो

पत्थरों में भी जुबां होती है दिल होता है
अपने घर की दर-ओ-दीवार सजाकर देखो

फासला नज़रों का धोखा भी हो सकता है
वो मिलें या न मिलें हाथ बढ़ाकर देखो

11
ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा

तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है
इक ज़रा सा गम-ए-दौरां का भी हक है जिस पर
मैंने वो साँस भी तेरे लिए रख छोड़ी है
तुझ पे हो जाऊँगा कुर्बान तुझे चाहूँगा

अपने जज्बात में नग़मत रचाने के लिए
मैं ने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करूँ
मैं ने किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे
प्यार का बन के निगेहबान तुझे चाहूँगा

तेरी हर चाप से जलते हैं ख्यालों में चिराग
जब भी तू आये जगाता हुआ जादू आये
तुझको छू लूँ तो फिर ऐ जान-ए-तमन्ना मुझको
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आये
तू बहारों का है उन्वान तुझे चाहूँगा

ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा

12
आखें तालाब नहीं, फिर भी, भर आती हैं !!
दुश्मनी बीज नहीं, फिर भी, बोई जाती है !!
होठ कपड़ा नहीं, फिर भी, सिल जाते हैं !!
किस्मत सखी नहीं, फिर भी, रूठ जाती है !!
बुद्धि लोहा नहीं, फिर भी, ज़ंग लग जाती है है !!
आत्मसम्मान शरीर नहीं, फिर भी, घायल हो जाता है !!
और ...
इंसान मौसम नहीं, फिर भी, बदल जाता है !!

13
मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
हाँ, बहुत प्यार करता हूँ।
ये बात अलग है कि कह नहीं पाता हूँ।

तुम्हारी बेरूखी मेरा दिल दुखाती है
आँखों में सैलाब उमड़ने लगता है,
गला रूँध जाता है,
ये बात अलग है कि रो नहीं पाता हूँ।

ख्वाबों में तुमसे मिलने की तमन्ना लेकर
बिछाता हूँ रात भर बिस्तर,
फिर आँखें मूँदकर जोगी की तरह ध्यान लगाता हूँ
पर यह बात अलग है कि सो नहीं पाता हूँ।

हर बार सोचता हूँ कि तुमको न देखूँ
पर न जाने ऐसा क्या है तुम्हारे चेहरे में
कि बिना देखे तुमको रह नहीं पाता हूँ।

एक नज़र देख लि मुझको
तो बिना साँसों के जी सकता हूँ
तुमसे इतना प्यार करता हूँ,
ये बात अलग है कि कुछ कह नहीं पाता हूँ।

14

रात के उस पहर में
जब कोई न था पास
सिवाय कुछ स्मृतियों के
सिवाय कुछ कही-अनकही चाहों
और कुछ अस्फुट शब्दों के
सिवाय एक अधूरे सन्नाटे के
उस वक़्त मैंने तुम्हारे शब्दों को अपना बना लिया
सुनो
अब वे शब्द मेरे भी उतने ही
जितने तुम्हारे
या शायद अब वे मेरे ही हो गए हैं-- गर्मजोशी से थामे हाथ ।

15
***
नवम्बर की गुलाबी शाम का
तुम्हारे छूने से
सुर्ख लाल रात हो जाना
याद आता है,

सुरमई बादल में लपटा चाँद
और चाँदनी रंग की
ओस की बूँदों का बरसना
छत पर बाते करते  हुए ये देखना
याद आता है,

चाय की प्याली हाथ में लिए
खिड़की खोल के
तुम पर सूरज फेंकना
याद आता है ।
फ़ोन पर ही सही पर ये सारी संजोयी
 सपने बहुत याद आता है।

चले भी आओ अब
ज़िन्दगी की सफेदी
यादों से रंगीन नहीं होती
बिस्तर की नीली चादर पे
हमारा वो इंद्रधनुष बनाने वाली बातें
याद आता है ।
15
तुम होना ना खामोश कभी,
आँखों में नमी ना लाना कभी,
जो भी हो कह देना मुझसे,
मुझसे छुपाना ना कुछ भी कभी,
जब भी होगी उदास तुम कभी,
तुम्हारे गम चुराऊँगा,
फिर भी ना मुस्काई अगर,
तो गुदगुदी खूब मचाऊँगा,
अगर फिर भी हो तेरी आँख में आँसू,
तो गले से तुझे लगाऊँगा,
समेट के तेरे हर जज़्बात,
दिल में तुझे छुपाऊंगा,
कभी ना जाने दूँगा दूर,
कभी ऐसा तुझमे समाऊँगा,
भूल जायेगी हर गम अपने,
इतना तुझे हसाऊंगा

16
तेरे काजल सा  बीखर जाऊ
या तेरे  जुल्फ  सा सँवर  जाऊँ..           
  
रात को नीं  सा लपटुु तुमसे
  सुबह खुमार सा उतार जाऊँ..
                    

तेरे इत्र महक बन कर;
तेरे बदन पर लहर जाऊँ.
                     
धूप कभी छाव कभी हवा हो कर,
 तु  को बस छू गु जाऊँ..

 काश किसी रस्ते मे मिले हम 

तुम रोको मुझे मै  ठहर जाऊ। 

17
बूँद शबनम की जाना ठहरती नही

रात तन्हा तो सब की गुजरती नही

कुछ तो दुखता है तेरा भी मेरे दर्द से

बेवजह आँख यू ही तो भरती नही

साथ मुमकिन नही अब बिछड़ कर तेरा

क्यों उम्मीद ए वफा है  मरती नही

बात मानो फ़कत डूबने के लिये

कश्तिया सागरों मे उतरती नही

दर्द क्या है यकीनन नही जानता

दिल पे जिसके जभी तक गुजरती नही

चल पड़ी हो तो मुझसे गुजर जाओगी

आँधिया तो चिरागों से डरती नही

चाँद जलता है झिलमिल फलक पर कही

रात पूनम की यू ही निखरती नही

तोड़कर दिल मेरा  बेवफा ने कहाँ

बात ये है वफाये मै करती नही

18
ये बारिश भी तुम सी है
जो थम गई तो थम गई
जो बरस गई तो बरस गई
कभी आ गई यूँ ही बेहिसाब
कभी थम गई बन आफताब
कभी गरज गरज कर बरस गई
कभी बिन बताये यूँ ही गुज़र गई
कभी चुप सी है कभी गुम सी है
ये बारिश भी सच तुम सी है...

प्यार कभी एकतरफा न होता है न होगा,
दो रूहों की एक मिलन की जुड़वां पैदाइश है यह,

झील नहीं की जिसको किनारे बाँध के बैठे रहते हैं,
सागर भी नहीं की जिसका किनारा होता नहीं,
बस दरिया है और बहता है।

दरिया जैसे चढ़ जाता है, ढल जाता है,
चढ़ना ढालना प्यार में वह सब होता है।
पानी की आदत है ऊपर से नीचे की जानिब बहना,
नीचे से फिर भागते सूरत ऊपर उठना,

बदल बन आकाश में बहना,
कांपने लगता है जब तेज़ हवाएँ छेड़ें,
बूँद बूँद बरस जाता है।

प्यार एक जिस्म के साज़ पे बहती बूँद नहीं है,
न मंदिर की आरती है न पूजा है,
प्यार नफा है न लालच है,
न लाभ न हानि कोई।

प्यार ऐलान है, अहसान है, न कोई जंग की जीत है यह,
न ही हुनर है, न ही इनाम, न रिवाज़, न रीत है यह,
यह रहम नहीं, यह दान नहीं,
यह बीज नहीं, जो बीज सके,
खुशबू है, मगर यह खुशबू की पहचान नहीं।

दर्द, दिलासे, शक, विश्वास, जूनून,

और होश-ओ-हावास की एक अहसास के कोख से पैदा हुआ है,
एक रिश्ता है यह,
यह सम्बन्ध है –
दो नाम का, दो रूहों का, पहचानों का,
पैदा होता है, बढ़ता है यह,
बूढा होता नहीं।

मिट्टी में पले एक दर्द की ठंडी धूप तले,
जड़ और तरक्की की फसल,
काटती है,
मगर यह बांटती नहीं।

मट्टी और पानी और हवा कुछ रौशनी और तारीकी कुछ,
जब बीज की आँख में झांकते हैं।
तब पौधा गर्दन ऊंची करके,
मुँह नाक नज़र दिखलाता है,
पौधे के पत्ते पत्ते पर कुछ प्रश्न भी है उत्तर भी।

किस मिटटी की कोख था वह,
किस मौसम ने पाला पोसा,
और सूरज का छिड़काओ किया,
किस सिम्त गयीं शाखें उसकी।

कुछ पत्तों के चेहरे ऊपर हैं,
आकाश की जानिब तकते हैं,
कुछ लटके हुए हैं,
ग़मगीन मगर,
शाखों की रगों से बहते हुए पानी से जुड़े हैं,
मट्टी के तले एक बीज से आकर पूछते हैं-

हम तुम तो नहीं,
पर पूछना है-
तुम हमसे हो या हम तुमसे।

प्यार अगर वह बीज है तो,
एक प्रश्न भी है,
एक उत्तर भी !
👌👌👌

खोकर हमें फिर पा न सकोगे,
जहाँ हम होंगे वहाँ आ न सकोगे,
हरपल हमें महसूस तो करोगे लेकिन
हम होंगे वहां जहाँ से,
हमें फिर बुला न सकोगे।


19
मन कहता है तुम्हे जकड़ लूँ
मधुर मिलन की रातों मे
कोई मधुरिम गीत सुना दूँ
उठती-गिरती श्वासों से

इसमे मेरा दोष नही ,मन पर क्या अधिकार प्रिये
मेरा मन तुम को ही चाहे ,एक नही सौ बार प्रिये

चंचल मन की व्यथा कहूँ क्या
ये मुझसे क्या-क्या चाहे
तेरे कोमल अधरों पर
निज अधरों की मोहर माँगे

अंको मे तुझको भर लूँ गर हो तुमको स्वीकार प्रिये
मेरा मन तुमको ही चाहे एक नही सौ बार प्रिये

चाँद सितारों के रथ पर मै
अरुणोंदय तक सोता था
मन के नील गगन मे
मै उन्मुक्त उड़ाने भरता था

तेरी स्मृतियां ले डूबी मेरा अहंकार प्रिये
मेरा मन तुमको ही चाहे एक नही सौ बार प्रिये

जीवन की आधारशिला हो
अब ये मैने है जाना
यदि मै नींव की ईंट बनु
तुम दीवारे बन आ जाना

प्रेम शंख के नाद से होगा गृहप्रवेश का कार्य प्रिये
मेरा मन तुमको ही चाहे एक नही सौ बार प्रिये

मन की पीड़ा तुम समझो
मै क्या तुमको बतलाऊंगा
बस जानो बिन तेरे मै तो
विरह मे जल जाऊँगा

मधु मालती पर खिलती तुम हो कोई कचनार प्रिये
मेरा मन तुमको ही चाहे एक नही सौ बार प्रिये

नही गुजरते हैं दिन मेरे
रातें भी भारी पड़ती
सारी मित्र मंडली मेरे
पागलपन पर है हँसती

चढ़ जाऊँगा बलि वेदी पर नही तुम्हे अहसास प्रिये
मेरा मन तुमको ही चाहे एक नही सौ बार प्रिये

20
वो पहली मुलाकात हम नहीं भूले
मोहब्बत की शुरुआत हम नहीं भूले
नहीं भूले वो धड़कनों का बढ़ जाना
नज़र-नज़र में हुई बात हम नहीं भूले
कैसे सादगी ने दिल चुराया था उस दिन
बहकते हुए वो जज़बात हम नहीं भूले
मनाया था उन पलों को कि थम जाऐं
चंद पल ही चले थे साथ हम नहीं भूले
दिल तो उसी वक्त बगावत कर देता
कैसे रोके थे जज़बात हम नहीं भूले
आपने भले कुछ ना कहा उस दिन
बिन कहे जो कह गए बात हम नहीं भूले
3

दिल के दफ्तर मे आओ तो कुछ बात हो
प्यार की फाइलों से मुलाकात हो
मेज पर रखा हर कोरा पन्ना कहे
मै तेरा नाम रंग दूँ ...तू मेरा रंगे

मन के उद्यान मे ..चाँदनी रात मे
इश्क की डील हो ,दस्तखत भी करें
दिल की बाते जो दोनो ही कह न सके
तुम भी ख़त मे लिखो हम भी ख़त मे लिखें

मौसमों की खिलाफत कर आयें हैं
जून मे फूल ही फूल खिल आयें हैं
अब क्या देर करना मुलाकात मे
चेक को छोड़ो आओ प्यार का कैश लें

इंतजार मे सालों गुजरते रहे
तुम भी डरते रहे हम भी डरते रहे
इश्क की सीट खाली पड़ी अब तलक
डर है कोई न आकर इधर बैठ ले

प्रीत के गीत पर इस कदर झूम लूँ
आओ बाहों मे भर कर लटें चूम लूँ
इससे पहले कोई दूसरा देख ले
तुम हमे देख लो हम तुम्हे देख लें

हारना भी ज़रूरी है व्यापार मे
ये मुनाफे का सौदा है बाजार मे
भूल-चूक, लेनी-देनी को माफ करें
तुम हमे जीत लो हम तुम्हे जीत लें......!!!!!!
21

स घड़ी जान पाती हूं
प्रेम कितना गहरा है तुम्हारा...
जिस घड़ी होते हैं हम प्रेम के शिखर पर
मिलन जिस्मों के रास्ते रूह का कराते हुये...
मन बेचैन सा होता है
होते हैं होंठ कपकपाते हुये...

तब जब हदें तोड़ कर समाप्त करते हो मिलन...
तब जब बाहों के दरमेयाँ घेर लेते
हो मेरा समूचा तन...
जब चूमते हो मेरा माथा...
देखते हो आँखों की गहराईयों
में डुबकी लगा कर...

जब उमड़ आता है वो प्रेम वो सम्मान
मेरे लिये , आँखों के रास्ते तुम्हारे...
तब तस्सली होती है
प्रेम मैने जो किया वो गलत ना था...
तुम वो नही थे जिसे जिस्म भर
से ही चाहत थी...

तुम वो नही थे जो ऊँचाईयों से गिर कर
बिना मेरी तरफ देखे ही सो जाते...
तुम वो ना थे जिनकी वजह से
प्रेम बिक गया वैश्यालयों में...

तुम वो ना थे जिससे मेरा मन डरता रहा...
तुम वो हो जिसे प्रेम के मायने पता हैं...
तुम वो हो जिसे सम्मान देना आता है...
तुम वो हो जिसके लिये
मैंं महज़ एक खिलौना नही हूं...

तुम एक सच्चे पति और पुरूष हो...

22
मुझे प्रम है तुम से उस हद तक
जिस हद तक लोग जा ही नही पाते
रोक लेता है उन्हे वहाँ जाने से
शारीरिक प्रेम

मगर मैं तुम से वो प्रेम करता हूँ
जिसमें तुम्हारी कमीं महसूस होती है
कुछ इस तरह जिस तरह महसूस होता है
एक माँ को अपने बड़े हो चुके
दूर रहते बच्चे कि कमी का अहसास

जब थका आता हूँ ऑफिस से
तब पहले तुम महसूस होती हो दरवाज़े कि
ओट से राह निहारती
और उसके तुरंत बाद महसूस होती
है कमी तुम्हारी

महसूस होती हो तुम किसी प्ले में
मेरी बगल वाली सीट पर
जब मैं टटोलता हूँ उस खाली सीट को
तब तुम्हारा महसूस होना
बदल जाता है तुम्हारी कमी मे

तुम महसूस होती हो हर उस पल
जब मैं होता हूँ हद से ज़्यादा मायूस
या हद से ज़्यादा खुश
जब मुझे सुनानी होती हैं तुम्हे
दिन भर की ढेर सारी बातें

जब देखना होता है तुम्हारी
सुकून से भर देने वाली हंसी को
सच कहूँ तो तुम अब महसूस होती हो
हर लम्हे में हर पल में हर वक्त

जिस तरह तुम्हे करता हूँ महसूस
काश कोई कर पाता महसूस
तुम्हारे लिए मेरी तड़प को
  1. काश तुम्हे कर देता मेरा


23
खुद की अदालत में
खुद के सामने पेश होना
होता है तकलीफदेह
सच्चा झूठा असली नेकली
मुहब्बतें नफ़रते
अपने -पराये मैं,हम,तुम
जीत,हार
उफफ़ ! सारा युद्ध खुद से ही
जीतना भी खुद से और हारना भी
अजीब होती है ज़िंदगी
खुशियों  के जाम में गमों की शराब
कितना देगी सुरूर
मुस्कुराहटो की खनक के पर्दे में
आँसुओं का सैलाब
मदमाते संगीत में कुछ
 छूट गये सुरों की तरह
कितनी अधूरी होती हैं सच्ची काहानियां
पर मुस्कुराना भी है जीना भी
और जीते हुए दिखना भी ………………
24

उसकी आँखों से एक मासूम इश्क़ बयान होता है
जब भी उसे देखूँ तो दिल मेरा जवान होता है
ख़ुशबू-सी फैल जाती है उसकी एक अदद मुसकान से
उसकी हसीन बातों से रोशन सारा जहान होता है
मैं तो सोचता नहीं हूँ कुछ और उसके सिवा दोस्तों
कुछ और सोचूँ तो मन मेरा बहुत परेशान होता है
लोग कहते हैं ठीक नहीं है इस उम्र में मुहब्बत की बातें
मैं कहता हूँ हर उम्र में मुहब्बत ही भगवान होता है
तनहा कटी है किसकी ज़िंदगी इस ज़माने में दोस्तों
बिना दिलबर  के वो एकदम पागल इंसान होता है
मत उड़ाइए खिल्ली किसी की मेरे प्यारे दोस्तों
हर किसी की चाहत का अपना एक मकान होता है
मैं भी नासमझ हूँ, समझाते हुए कहाँ आ गया दोस्तों
ये मुहब्बत है , मुहब्बत में तो हर आदमी नादान होता है
25
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाकात की ,

उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनाई ख़यालात की ,

मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी
ज़बाँ सब समझतें हैं जज़्बात की

मुक़द्दर मिरी चश्म_ए_पुर आब का
बरसती हुयी रात बरसात की

कई साल से कुछ खबर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा , कहाँ रात की !!
26
वीणा और सितार है प्यार,
बिन्दियाँ की चमक और पायल की झंकार है प्यार,
चाहत की पराकाष्ठा है प्यार,
एक-दूजे पर आस्था है प्यार,
स्नेहिल संग हो तो,
चाँद-सितारों का दरबार है प्यार,
न मिलकर चैन मिले, न बिछुड़ कर चैन मिले,
ऐसा यार है प्यार,
कैसे बयान करूँ दोस्त,
वाह! क्या प्यार है प्यार!!!

गीत, संगीत और सौंदर्य है प्यार,
जीवन का ऐश्वर्य है प्यार……

27
वीणा और सितार है प्यार,
बिन्दियाँ की चमक और पायल की झंकार है प्यार,
चाहत की पराकाष्ठा है प्यार,
एक-दूजे पर आस्था है प्यार,
स्नेहिल संग हो तो,
चाँद-सितारों का दरबार है प्यार,
गीत, संगीत, सौंदर्य है प्यार,
जीवन का ऐश्वर्य है प्यार,
न मिलकर चैन मिले,
न बिछुड़ कर चैन मिले,
ऐसा यार है प्यार,
कैसे बयान करूँ दोस्त,
वाह! क्या प्यार है प्यार!!!

Comments