एक चिट्ठी सभी माँओ को

माँ- जन्मदाता -ममता-दया-प्रेम-संसार,जीवन की श्रृंगार   

रात में एक कॉल आता है, माँ का। बस कुछ सवाल पूछती है, जैसे, खाने में क्या बना था? दाल कौन सी बनी थी, सब्ज़ी किसकी थी। वहाँ मौसम कैसा है?  रात को नींद तो आती है ना? बहुत देर तक तो नहीं जागता?  घर कब आएगा? तू ठीक है ना? 

ये क्या हु हु लगा रखा है ...अब पहले जैसे बोलता क्लियर बोलता भी नही ...बस ..दबे लफ्जो में मेरा एक ही जबाब होता है तू वहा ठीक है ना माँ ..घर में सब अच्छे से है न !
शायद यही जवाब उसकी तमाम बेचैनियों को शांत करने के लिए काफ़ी हैं। उसे कैसे समझाऊ इस बाजारीकरण के दौर में कही दब सा गया हु ... ...कैसे कहू की तेरी हाथो के खाना बहुँत मिस करता हु ....कैसे कहू तुम्हारे सिकन भरी चेहरे में एक मुस्कान देखना चाहता हु तेरे निस्वार्थ प्रेम के आंचल में जीना चाहता हु ...कैसे कहू जब कसूर ही मेरा है तुमसे दूर रहकर ...लोगो को सेवा भावना से जॉब करना।
तुम्हारे सवालो के जबाब हु हु में दे रहा था तो माँ तुम्हारी एहसान एहसास और प्रेम ने मुझे भावुक सा कर रहा था ..कितना खुसनसीब हु की तुम मेरी माँ हो ...वैसे बहुत कुछ कहने का मन कर रहा था खैर तुम्हारी महानता को संसार में कोई बया नही कर सका तो मै क्या !!
माँ के हाथो के स्वाद और उसके निश्वार्थ प्रेम में ना कोई मिलावट किया जा सकता ना ही कोई मोल .. ना कोई अलंकार से अलंकृत ना ही कोई शब्दो से तोल... माँ शब्द अपने आप मे परिपूर्ण है ...समग्र संसार को थामे हुए बिल्कुल धरती की तरह। इसलिए बिना कोई तुलनात्मक भाव शब्द से ..अपने टूटी फूटी भाषा मे ..कुछ शब्दो से संसार के सभी माँ को समर्पित है...
चरणस्पर्श माँ ..👏💝
माँ अपने आप में व्यापकता लिए हुए है।सभी धर्मों और विचार धाराओं ने माँ की महानता को स्वीकार है।हम माँ के प्रति कोई भाव रखे परंतु माँ का स्नेह सभी पर बराबर रहते हैं।रिश्तों को कानून की परिभाषा से नहीं बांधा जा सकता है,रिश्ते भावनात्मक होते हैं और उनका ह्रदय से मान और सम्मान किया जाता है।
तुम अपने बच्चे को जब जन्म देती हो तो उसके साथ साथ ही तुम कई सपनों और बच्चे से जुड़ी उम्मीदों को भी जन्म देती हो । उसे रोज़ दिन आँखों के सामने बढ़ता देखना कितना सुखमय होता है शायद तुम्हारे सिवा ये कोई नही जान सकता । उसे बोलने से चलने तक सब सिखाती हो और जब जब बच्चा कुछ नया सीखता है तो अंदर ही अंदर गर्व से फूलने लगती हो । अपने लहू से सींचे उस पौधे को अपने हिस्से की खुराक दे कर बड़ा करने की ताकत और हिम्मत भगवान ने बस तुम्हे ही दी है । 
मैंने तुम्हारे अनेक अवतार
,बहन, जान पहचान वाली दोसतो, स्कूल काॅलेज की क्लासमेट, प्रेयसी आदि जैसे रूपों को भी देखा है कई हमसे छोटी लाडली को भी ...
 मेरे सामने ही तुम बच्ची से बड़ी हुईं और फिर तुम्हारी शादी हुई और फिर तुम्हे गर्भवती के रूप में भी देखा और अक्सर डर जाता गया क्योंकी तुम्हे मैने तब से देखा जब तुम खुद बच्चियाँ थीं(सिस्टर) । धमा चौकड़ी मचाने वालीं, छुई मुई सी, ज़रा सी चोट पर रो रो के घर सर पर उठा लेने वाली । मैने जब तुम्हारा उभरा हुआ पेट देखा तो सोचने लगा की कपड़े से भरी बाल्टी उठाने में आना कानी करती थीं तुम तो अब इतने महीनों अपने अन्दर एक और नन्ही सी जान को लिए कैसे चल पाती होगी । 
वो दर्द जब उमड़ता है तो कैसे तुम फूल सी बच्चियाँ इतना दर्द सह जाती हो ? क्या माँ नाम के शब्द ने तुम्हे इतनी ताकत दे दी की तुम इतना बड़ा दर्द सह जाती हो वो भी मुस्कुराते हुए  । मैने तुम्हे माँ चाची मामी मौसी आस पड़ोस की आँटी आदि सबके रूपें पीड़ा सहते देखा , मगर मेरे लिए तुम उस रूप में हमेशा से बड़ी रही हो मैने तुम्हारे इन रूपों का बच्चपन नही देखा ना कभी इसी लिए पहले सोचा की शायद तुम हमेशा से बहादुर हो मगर ये तो बाद में जाना की नही ये बहादुरी तो माँ नाम के शब्द ने तुम्हे दी । तुम्हारी हर बहादुरी भले ही खामोशी सा है इतने सारे कष्ट हम पुरुषो की गुस्सा जुल्म चारदीवारी में रखने की गुलामी...ना जाने क्या क्या ..फिर भी तुम सहनशील ओ भी खामोशी से..ऐसा क्यू.... समझ गए संसार की जननी हो ..न इसलिए ...हमे जीवन भर पालने पोसने के को ही धर्म मान बैठी हो इसलिए ही न!! तुम्हारे हृदय से सच्चा और निम्रल कुछ भी नही पर
तुम झूठ बोलती हो तब तब जब जब कोई चीज़ की ज़रूरत तुम्हे होती है पर तुम उससे ज़्यादा अहमीयत अपने बच्चे की ज़रूरतों को देती हो और झूठ बोल कर कहती हो तुम्हे कुछ नही चाहिए । अगर तुम गरीब हो तो अक्सर तुम्हारी भूख मर जाती है जब जब खाना कम पड़ने लगता है । ये सब इतना झूठ बस अपने बच्चे को खुश देखने के लिए बस इसलिए की वो भूखा ना सोए ।ममता के आगे तुम स्वार्थी हो जाती हो । इतनी स्वार्थी की तुम्हे अपनी ममता के सामने अपनी जान तक की परवाह नही होती । तुम बस अपने बच्चे को मुस्कुराता देखना चाहती हो । कैसे कर लेती हो ये सब ? कहाँ से लाती हो इतनी हिम्मत । तेरे कर्मो के आगे ये कलम भी थरथरा रही ..
हम्ममें इतनी हिम्मत नही😢 की तुम्हे और लिख सकु...हा पर
मैने तुम्हे देखा है बड़े से बड़ा दुख जिसने तुम्हे तोड़ दिया, ऐसा बना दिया की मानो अब ज़िंदगी से कोई लगाव ही ना हो फिर भी तुम हारी नही अपने बच्चों के प्रति अथाह स्नेह ने तुम्हे लड़ने की हिम्मत दी । तुमने हार नही मानी । तुममें खास पता है क्या है ? तुम महलों में भी वही हो  और झोंपड़े में भी वही । उसी तरह ममता से भरी हुई । बच्चे तरह तरह के मगर तुम एक सी हमेशा से । काश की की यही ममता पूरी दुनिया में एक सी होती यही मोह यही त्याग एक देसरे के लिए । काश सारी दुनिया माँ होती तो शायद कोई बच्चा इस तरह से अनाथ ना होता ये झूठ फरेब धोखे ना होते । सब तुम्हारी तरह साफ़ दिल होते । 
हर माँ का बच्चा हमेशा सलामत रहे क्योंकी अपने बच्चे की बुरी हालत किसी माँ से बर्दाश्त नही होती और हर बच्चा कामयाब हो क्योंकी उसकी कामयाबी को देख ही हर माँ खुश रहेगी । आज माँ भारती पर भी तर्क करने लगे हैं ..सुनो
हम जिस भूखंड पर रहते हैं वह माँ की तरह है जिसकी गोद में सभी पलते हैं,उसके आँचल की छाया में सभी अपने आपको महफूज पाते हैं और उसकी संतान हमेसा उसकी समृद्धि चाहती है।ये तो इंसान की फ़ितरत है कि उसने  भारत को मंदिर,मस्जिद,गिरिजा और गुरुद्वारा में बांटकर इंसान को भी बाँट रहा है।हम सभी इस भूमि की संतान है।भावना को कभी भी तर्क की कसौटी पर नहीं आंकना चाहिए।यहां सभी को एक दूसरे की भावनाओं के सम्मान करना चाहिए और एक दूसरे के ऊपर विश्वास करना चाहिए।जब प्रकृति अपने संसाधनों को बांटने में भेद भाव नहीं करती तो हम भेद भाव करने वाले कौन होते हैं।हमारे बीच संवाद होना चाहिए न की भाषाई असहिष्णुता और क्रूरता।





सभी माँओं को नमन है मेरा और साथ ही बहुत सारा प्यार 

आप सब में से ही एक का बेटा ...भोलाभाला राहुल 

बड़े किस्मती है वो लोग जो एक वक्त का खाना  अपने  माँ के साथ खाते है!

Comments