साइकल चाची- ऊर्जा देने वाली कहानी


   "साइकल चाची"
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रह -रह कर कचोटती है रूढ़िवादी कुरुतिया
विदीर्ण करती हुई मन को चुभ जाती है
उनके दर्द-ए-सितम , भर देती है वेदना से ह्रदय को 
लेकिन जगमगाने लगता है दीप्त होकर हौसला मेरा
जब याद आता है उनके संघर्षिल कहानियां जरा। 

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आईपील में बहुत मताये हुए है जनाब ....

हा सब jio का कमाल है...
चुनाव का तो बोलिए मत एक एक पल का खबर है पूरे 540 नेतवन के नाम उंगली पर है ....कुछो पूछिए कहा से कौन लड़ रहा है जीत रहा सबे मालूम है !

छोड़िये....एक हाथ का स्मार्ट फ़ोन रखे है सबेकुछ देख लेते होंगे आप!!

चलिए बता ही दीजिए लोकसभा में कितना महिला उमीदवार उठल है??

हा बताते है न!....1 हेमा मालिनी 2 जया परदा 
3 उर्मिला 4 सोनिया गांधी 5 प्रियंका वाड्रा 6 डिम्पल भाभी 
7 स्मृति ईरानी 8.......और होंगे बारह तेरह ...
उनलोग को न्यूज में नही दिखाया जाता न! इसलिए उनकर नामवा याद नही आ रहा है! 

....पिछले बार भी इतनी ही चुनाव लड़ी थी?

अरे हा क्या करेगी भी संसद में भीड़ लगाकर...हमारे गाँव की मुखिया चुनी गईं है बस नाम की मुखिया है सारे काम काज पति देखता है।

.....लोग मुखिया से मिलने जाते होंगे न!

जाते तो है पर वो घुघट में रहती है उन्हें घरवाले मिलने नही देता ..पति ही मिलता जुलता है हस्ताक्षर भी खुद ही करता है।

अच्छा ये सब छोड़िये.....26 जनवरी को राष्ट्रपतिजी अवार्ड बाटे हैं इसबार ढेरो महिला को मिला है रूरल एरिया के लोगो को भी मिला है किन्ही को जानते है क्या?

अरे नही! यूट्यूब में देखे तो थे कुछ बूढ़ा बूढ़ी और गरीब गुरबा को भी मिला है लेकिन नामवा याद नही है।

अरे महाराज ....मुजफ्फरपुर की साइकल चाची को भी भूल गए।

हा हा उनको कुछ पद्मश्री मिला है न!

छोटी सी शहर से 30 किमी दूर सरैया प्रखंड का आनंदपुर गांव। यहां के चार घर का कोना-कोना कृषि उत्पादों से अटा पड़ा है। आम, अदरख, ओल के अचार तो आंवला व बेल के मुरब्बे की खुशबू आपको बरबस यहां खींच लेगी। छोटी सी किसानी से भी परिवार कैसे खुशहाल हो सकता है, यह घर इसकी मिसाल है।

इसके पीछे है राजकुमारी देवी का मेहनत हौसला त्याग और संघर्ष । शादी के नौ वर्ष तक संतान नहीं होना और पति की बेरोजगारी के कारण घर की दहलीज से बाहर कदम रखने वाली एक बहू को समाज व परिवार से बहिष्कृत कर दिया गया था।
मगर, उस बहू की दृढ़ इच्छाशक्ति को उसी समाज ने आज किसान चाची का न केवल नाम दिया, बल्कि सम्मान भी और पदम् श्री जैसा बड़ा इनाम भी।

राजकुमारी जी 15 वर्ष की उम्र में शादी हो गई थी
लाडली थी  शिक्षक पिता ने प्यार से पाला था, मगर ससुराल में स्थिति उलट थी। जब तक कुछ समझते परिवार ने अलग कर दिया।  शादी के कई वर्ष तक संतान नहीं होने के कारण पहले से तिरस्कार झेल रही थी। उपर से खेती शुरू की सूखा पड़ गया । पहले से संतान के लिए कोस रहे थे सुबह से रात तक बांझी बांझी चिढ़ाते।

अब सूखे खेत के लिए इस कलमुंही को अपशगुन मान लिया गया और  परिवार के साथ अब समाज ने भी बहिष्कृत कर दिया। 

खूब रोई ... विलखि ...कुढ़ती रही .... थाली से अन्न के साथ साथ मन को भी कुचला गया .... ऐसा रूढ़ि वादी सोच
मानो यह राक्षसी हो , कोई इनको देखे भी तो उसका तमाम हो जाये ....हाय रे!  #अपशगुनी शब्द

दुकानवाले को ज्यादा पैसा देकर भी नहाने साबुन भी न मिले!
चिकनी मिट्टी से नहाए .....
अकेली महिला गांव से कलंकित ....लेकिन वो खुद से खुश थी क्योंकि वह जुठी नही थी जितना कि समाज महिलाओ के लिए जुठा।
दुर जाकर खेतो में मजदूरी करने के अलावा कोई ऑप्शन नजर नही था। और उनमें परिश्रमी का गुण था 
मेहनत इतना कि 4 लोग भी मिलके न सक्षम हो। दिन रात काम और परिवारिक कलह का टेन्सन....फिर उनके खेत मे मेहनत के वजह से हेल्थी अनाज एवं दुगुना उपज। 
जमींदार खुश हुआ उनके लगन मेहनत से प्रभावित होकर उनके गांव परिवार में इस सच्चाई को रखी कि वह कोई कलमुंही नही है बहुत परिश्रमी है और साहसी भी इसके हाथो से  उपजी अन्न .. सबसे अच्छे भाव मिलती है।
मेरे खेत मे दुगना उपज की इसलिए आधे पैसे 150₹ इसे दिए।  फिर किसी तरह से बात बनी और परिवार में रहने लगी। 
कभी कभी काम नही मिलने पर मन काटो काटो लगता है न!
ठीक उनका भी मन खेतो में रहता था अपनी ही खेत मे खेती करने लगी ...
खूब मेहनत की,  अन्न.. अधिक उपजाने लगी 
सालो भर अलग अलग तरह के फसल काटने लगी और बाजार में बेचने लगी। 
वे खेती पूरी शिद्दत के साथ करती थी तो अन्न दाल व सब्जियां की क़्वालिटी भी बहुत अच्छी होती थी तो कीमत भी अच्छी मिल जाता।
राजकुमारी के कदम नहीं रुके। 
उन्होंने खेती के साथ छोटे-मोटे कृषि उत्पाद बनाने शुरू किए। साइकिल उठाई और मेला-ठेला व घर-घर जाकर इसकी बिक्री शुरू की। 

भूखे रहने पर नहीं पूछने वाला समाज दो रोटी कमाने के इस तरीके पर और सख्त हो गया। 
उनके बाजार जाने से फिर से तरह तरह के कीचड़ उछाला जाने लगा....
यहां तक कि अबकी बार पति भी नाराज। 
पति इन्हें  खूब समझाए कि ....साइकिल से सामान बेचना अच्छा नहीं लगता है किसी महिला के बिल्कुल ठीक नही है 
सारा जमाना मेरा खानदान व चौधरी विरादरी पर थू थू कर रहा है। मुझे बहुत तंज झेलना पड़ रहा है....
लेकिन इस बार वो मजबूत थी ....जबाब था पिछले बार तो हम घर के चौखट में थे तो भी सब चिढ़ा ही रहा था। उस वक्त आपको खराब नही लगा था। इस बार तो मैं क्यो क्या कैसे कहा सब खुद ही  कर रही हु। आपको जो करना है कीजिए बैठके दिन रात सोचते रहिये फिजूल की बाते। 
मेरा आत्मा खेत  में है अब हम सारे खेतो मे खेती करेंगे और बाजार में सबसे अधिक अन्न सब्जी हमारा बिकेगा। वैसे भी जो खाता है बहुत नाम लेता है दुबारा कोई मोल मोलाई भी नही करता, कई सारे लोग बाजार में इंतजार करता है कि साइकल चाची कब टोकरी भरी सब्जी लेकर आएंगे।
इसी रूढ़िवादी समाज के नोकझोक के बीच कारवां बढ़ता गया
रूढि़वादी समाज जैसे-जैसे सख्त हो रहा था राजकुमारी का संकल्प उतना ही मजबूत हो रहा था। कुछ बेहतर करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लिया। पूसा कृषि विश्वविद्यालय से जुड़कर आधुनिक तरीके से खेती के गुर सीखे। अचार व मुरब्बे के काम को बढ़ाया। आसपास की महिलाएं व युवतियों को प्रशिक्षण दिलाकर इस काम में लगाया उनके क्षेत्र में महिलाओ को स्वरोजगार मिलने लगा
स्थिति बदलने लगी। दो बेटी व एक बेटा के रूप में तीन संतानें भी जन्म लीं।

महज डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया गया कारोबार बढ़ता गया। इसके साथ ही नाम भी। 
बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसानश्री से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वालीं एकमात्र महिला थीं। इस सम्मान के बाद ही #साइकिल चाची" का नाम #किसान चाची हो गया।

अचार व मुरब्बे की खुशबू की तरह किसान चाची का नाम भी फैलने लगा। अहमदाबाद में उनकी इस लगन की तारीफ नरेंद्र मोदी ने भी की। तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इनकी खेती व छोटे से कारोबार को देखने इनके घर आए।
 फिर क्या इनकी गाड़ी चल पड़ी....दूसरे राज्यो में भी इनके उत्पाद का प्रसार हुआ लोग वैसे ही उत्पाद बनाने के लिए उनसे ट्रेनिग लेने लगे।

एक बार तो अमिताभजी के फोन को समझ रही थीं मजाक।

दिल्ली के प्रगति मैदान में अपना स्टॉल लगाई थी । मोबाइल पर एक फोन आया। पति ने उठाया तो आवाज आई 'मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूं। लगा कोई मजाक कर रहा। 
पति ने फोन काट दिया। कई बार इसी आवाज से फोन आया। आजिज आकर वहां मौजूद एक कृषि अधिकारी को मोबाइल दिया।
 उन्होंने बात समझी। बताया गया कि एक tv के फेमस कार्यक्रम "आज रात है जिंदगी"
में शामिल होने को लेकर अमिताभ बच्चन बात करना चाह रहे हैं। बात हुई तो मुंबई बुलाया गया। बस क्या था, पकड़ ली मुंबई की फ्लाइट। आयोजित कार्यक्रम 'आज की रात है जिंदगी में अमिताभ बच्चन के साथ किसान चाची के कार्यक्रम का प्रसारण हुआ। कार्यक्रम के दौरान बिग बी उनसे खासे प्रभावित हुए।  कई बार अभिवादन किया इनके जज्बे को सलाम किया।
कार्यक्रम के बाद पांच लाख रुपये, आटा चक्की व साडिय़ां किसान चाची को भेजे गए। राशि से कारोबार में काफी मदद मिली।
पहले उन्हें किसानश्री और 2019 में  अब पद्मश्री से नवाजा गया है। राजकुमारी देवी समाज के लिए आदर्श बन गई हैं। घर से बाहर कदम रखने पर जिसने ठुकराया था, वही समाज व परिवार आज उनके कारण अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

बिहार के मुज्जफरपुर वाली साइकल चाची को
 मेरा भी सलाम👏👏

सुबह के 3 बज गए
अब कलम को विराम और नयन को विश्राम देना जरूरी है कल ड्यूटी है ब्रांच में दिन भर चाची जी जैसा मेहनत करने की कोशिश करता रहूँगा...

आपलोगो से बस यही कहना था....
"महिलाओं को नहीं देखें हीन भावना से"

महिलाओं के प्रति समाज के दोहरे मापदंड 
आज भी किसान चाची को खलता है। 
कहती हैं, वे किसी से कम नहीं है😢 
अल्ट्रासाउंड लगाकर जन्मने से पहले ही गला घोंटते हो क्यो😢😢
घर के जंजीर मे ही हमे जीना मरना क्यो?
बाजार जाने  से भर से कोई हमे पूरा जीवन के लिए अकेले छोड़ जाता हमारी सुख दुख प्रेम मुस्कान का क्या😢😢😢

बस साथ लेकर चलिए। 
फिर देखिए....साइकल क्या ....#अभिनन्दन जैसा फाइटरवा उड़ा के पाकिस्तान को सबक सिखाई देगें😊

लोकतंत्र का पर्व चल रहा सब अपने अपने मुद्दों को संसद तक पहुचाने के लिए उत्साहित है तो
किसान चाची भी यह जरूर कहना चाहती होगी 
 कि इस चुनाव में मीडिया, नेता ,बुद्धजीवी द्वारा सभी लोग अपनी अपनी बातें रख रहे है। 
हमारी आबादी 49% है और संसद में हमारी प्रतिनिधित्व 5% भी नही, कौन खा रहा हमारा बराबरी का हक। जब सांसद में हमलोग बैठेंगे ही नही तो महिलाओ पर विचार विमर्श एवं हमारी समस्याओं पर चर्चा कौन करेगा बाकी तो आजादी,आजाद और महिला सम्मान के नाम पर 70 साल गुजर गए हमारे हिस्से में मीठी मीठी भाषण के शिवा आया क्या है?

सभी राजनीतिक पार्टियों से निवेदन है कि चुनाव में
कम से कम हम 33% सीट हम महिलाओ को दे। ताकि सांसद में हमारी विचार विमर्श का तरजीह मजबूती से मिले 
 जिससे सामाज के  ग्रामवर्ती इलाके तक के महिलाओ में जागरुकता फैले उन्हें बराबरी का हक दिला सके ,
मान सम्मान और पहचान मिले और  तभी ये समाज संकीर्ण व रूढ़िवादी सोच से ऊपर आयेगा भ्रूणहत्या, तवायफ, बिस्तर तक, रखैल, शोषण, मारपीट,उत्तपिड़न, भेदभाव, बलात्कार, बांझ का कलंक , बहुविवाह, जबजस्तगी विवाह, ट्रिपल तलाक, हलाला , नीच समझने जैसी कुरुतिया अपने आप खत्म हो जाएगी।

#राहुल प्रसाद

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