सरकारी नौकरी में रुझान-रिपोर्ताज


सरकारी नौकरी के प्रति रुझान-एक रिपोर्ट -राहुल प्रसाद


 पढ़ाई पूरी करने के बाद जब रोजी रोटी की बात
आती है तो हमारे पास तीन विकल्प होते हैं|

1बहुराष्ट्रीय कम्पनी(MNC)/प्राइवेट की नौकरी
2.सरकारी नौकरी
3.स्वरोजगार
सोशल मीडिया से मैंने एक वोटिंग कराया| वोटिंग सिर्फ एक दिन के लिए थी और सिर्फ मित्रसूची में शामिल मित्रों के लिए थी| उस वक्त ऑनलाइन हो पाए उन्होंने सहर्ष भाग लिया| वोटिंग का उद्येश्य यह जानना था कि भारत में किन नौकरियों के लिए क्या रुझान है | जितने लोगों ने और जिन लोगों ने अपने मत और मंतव्य दिये उसका एक ब्योरा प्रस्तुत कर रहा  हूँ|

कुल 50 लोगों की वोटिंग के आधार पर जो प्रतिशत निकले उनके अनुसार...

1बहुराष्ट्रीय कम्पनी/प्राइवेट की नौकरी—20%

2.सरकारी नौकरी..66%

3.स्वरोजगार..13%



1.सबसे पहले बात करते हैं बहुराष्ट्रीय कम्पनी की...

इतिहास-- भारत में विदेशी कम्पनियाँ तीन तरीके से कम कर रही है। पहला, सीधे अपनी शाखायें स्थापित करके, दूसरा अपनी सहायक कम्पनियों के माध्यम से, तीसरा देश की अन्य कम्पनियों के साथ साझेदार कम्पनी के रूप में।

8 विशालकाय ब्रिटिश कम्पनियाँ सन् 1853 से ही ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत में घुसना शुरू हो गयी थीं। 

आजादी के पूर्व सन् 1940 में 55 विदेशी कम्पनियाँ देश में सीधे कार्यरत थीं। आजादी के बाद सन् 1952 में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार ब्रिटेन की 8 विशालकाय कम्पनियों के सीधे नियन्त्रण में 701 कम्पनियाँ भारत में व्यापार कर रही थीं। सन् 1972 के अन्त तक देश में कुल 740 विदेशी कम्पनियाँ थीं। जिनमें से 538 अपनी शाखायें खोलकर व 202 अपनी सहायक कम्पनियों के रूप में काम कर रही थीं। इनमें सबसे अधिक कम्पनियाँ ब्रिटेन की थीं। लेकिन आज सबसे अधिक कम्पनियाँ अमेरिका की हैं। समझौते के अन्तर्गत काम करने वाली सबसे अधिक कम्पनियाँ जर्मनी की हैं। 1977 में विदेशी कम्पनियों की संख्या 1136 हो गयी।

जून 1995 तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 3500 से कुछ अधिक विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, अपनी शाखाओं या सहायक कम्पनियों के रूप में देश में घुसकर व्यापार कर रही हैं। 20,000 से अधिक विदेशी समझौते देश में चल रहे हैं।

लाभ-जब भारत बेरोजगारी से जूझ रहा था तब ये विदेशी कम्पनियों ने संजीवनी का काम किया| नौकरी के कई विकल्प उन्होंने दिए| सैलरी आकर्षक थी| समय की पाबंदी भी नहीं थी...जब मन करे ऑफिस जाओ, सिर्फ काम के घंटे पूरे होने चाहिए|

स्वतंत्रता भरा जीवन उन्हें अच्छा लगा| समय पर आत्मनिर्भर हुए|

विदेश जाने का मौका मिला|

श्रम की कद्र होती है

हानि- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भारत में महानगरों को अपना केंद्र बनाया जिसके फलस्वरूप बच्चे नौकरी करने के लिए अपने घर परिवार से दूर होने लगे| कई परम्पराएँ और संस्कार अनजाने ही विलुप्त होते चले गए| बाहर का पैकेज़्ड फुड खाकर उनके सेहत पर भी असर आने लगा| किराया का व्यापार बढ़ाने लगा जहाँ नौकरी वाले बच्चे एक साथ शेयर वाले घर लेने को मजबूर हो जाते|

हर वर्ष फायर किए जाते हैं कर्मचारी...यदि काम में 

बुज़ुर्ग दम्पति अपने अपने शहरों में अकेले होते चले गये| छोटे बच्चे दादी-दादी और नाना-नानी से अलग हो गए |

वोट देने वाले मित्र---

1. प्रियंका सिन्हा  जी

2.सुरेन्द्र कुमार   जी

3.दिनेश गुप्ता   जी

4.पवन कुमार  जी

5 खुशबु कुमारी  जी

6. केविन तिग्गा  जी

7.संजय वर्मा  जी

8.दीपक राज जी 

9. विक्की कुमार  जी

10. राहुल सिंह  जी



मित्रों के विचार उनके ही शब्दों में--

दीपक राज जी- मैं मार्केटिंग मैनेजमेंट पढ़ाता हूँ , साथ ही इंजीनिरिंग के बच्चों को स्वरोजगार के लिए स्पेशल कोर्स (EDP) कराता हूँ ! अच्छी कम्पनी में प्लेस्मेंट हो तो शुरुवाती सालों में अच्छा है, बालक हीरा बन के निखरता है और दुनिया भर में उसके हुनर की माँग होती है !
सुरेन्द्र  कुमार -  अपने मेहनत से ,काम करो अच्छे पैसे लो,पर सरकारी नोकरी में काम न करने की आदत पड़ जाती ओर आपके काम की कोई कीमत नहीं। सरकारी नोकरी में कुव्यवस्था के जाल से मुक्ति नहीं।पर अब परिवर्तन हो रहा है।

खुशबु - मुझे तो सरकारी नौकरी मिल गयी थी, लेकिन पति को सरकारी जॉब न मिलने के कारन  मल्टीनेशनल में काम करना पड़ा। पैसे कारण नहीं थे  पति के साथ रहना 
 
प्रियंका सिन्हा 
- निश्चित रूप से मल्टीनेशनल कंपनी में,, हमारे अनुसार ये इसलिए कि मेहनत अब दोनों ही तरह की नौकरी में है तो पहला कारण ये है कि आरक्षण के कारण कोई नुकसान नहीं होगा किसी योग्य और परिश्रमी व्यक्ति का. ,,दूसरा ये कि जरुरत के वक़्त नौकरी छोड़ सकते हैं,, बाद में मनचाहे वक़्त पर आप में योग्यता है तो फिर से मिल ही जाएगी.


2. सरकारी नौकरी—

वेतनमान और सीनियरिटी के अनुसार पगार

सुरक्षित भविष्य

किसी हादसा दुर्घटन में मृत सरकारी व्यक्ति के परिवार के एक सदस्य को नौकरी

ताउम्र पेंशन

काम से निकाले जाने का खतरा नगण्य

वोट देने वाले मित्र-

1.कृति चौधरी  जी

2.अभिलाष श्रीवस्तव जी

3. पूजा गुप्ता  जी

4. अभिषेक श्रीवास्तव जी

5.पूर्णिमा कुमारी  जी

6. अमित तिवारी  जी

7.राहुल कुमार चौधरि जी

8.आलोक वर्मा  जी

9.शिवकुमार  जी

10.धीरेन्द्र  जी

11.संध्या सिंह  जी

12.अनामिका  जी

13.पूजा जैसवाल जी

14. भीम पण्डे  जी

15. अयोध्या प्रसाद  जी

16.हंसिता लकड़ा  जी

17 रामानुज सिन्हा  जी

18. राजेश जी

19.पूजा गुप्ता  जी

20.सदानंद पोद्दार  जी

21.आसुतोष पेधिया  जी

22.ऐ . त्रिपाठी जी

23.निशांत  जी

24.कुमार गौरव  जी

25. गार्गी कुमारी  जी

26.बिमलेश कडिय  जी

27  निगम जी 

28.रंजना कुमारी  जी

29.प्रकाश जी

30. ऐ डी परमार  जी

31.राजकुमार  जी

32. राकेश परमार  जी

33.उषा पटेल  जी

सरकारी नौकरी के लिए कुछ अन्य मित्रों के विचार

कुंदन सिंह  -सरकारी नौकरी सिर्फ़ आरक्षित वर्ग को ही मिलती है , 
ऐसे में अनारक्षित वर्ग प्राईवेट नौकरी करने को मजबूर है ।।


सुनील कुमार  -किसी की नौकरी करना मुझे पसंद नही करना पड़े तो अधिकारी लेबल का नौकरी सरकारी ज्वाइन करना चाहेंगे .

सोनू चौहान - हमे सरकारी नौकरी बेहद पसंद है चाहे कोई भी पोस्ट मिल जाये ज्वाइन करुँगा 

खुशबु  - मै चाहती हु की मेरे पति बड़े सरकारी अधिकारी बने और लोगो की सेवा करे साथ ही हमे उनके साथ रहने का मौका भी मिलेगा .

3.
Self Employment-स्वरोजगार
वोट देने वाले मित्र

1. जीतेन्द्र  कुमार   जी

2.रवि कुमार  जी

3.शुशील  जी 

4.अशोक ज्योत्स्ना   जी

5.मधु गुप्ता  जी

6. छोटू गुप्ता जी 

7 रंजित प्रसाद  जी

और भी कुछ थे जिनका मत था अभी कुछ कह नही सकता / अभी पढ़ ही रहा हु या बिजनेस करने  की सोच रहा हु / कोचिंग खोलना चाहता हु/कुछ असमंजस में थे कभी सरकारी नौकरी तो कभी बिजनेस दोनों बोल रहे थे .


इस बारे में मित्रों के विचार उनके ही शब्दों में साझा कर रहा हु |

छोटू गुप्ता - उ वाली कहावत सुनी होगी, उत्तम खेती मध्यम बान , निषिध चाकरी भीख निदान।
रंजित प्रसाद - अभी अभी बिस्ज्नेस में नया हु ज्यादा  कुछ कह नहीं सकते पर बिजनेश में जितना जयादा मेहनत पसीना और दिमाग लगेगा उतना जयादा मुनाफ्फा 

.शुशील - वो व्यक्ति जिन्हें अपने कार्य कौशल तथा बुद्धिमता पर पूर्ण विश्वास है और अच्छा काम करते हुए लगातार आगे बढ़ने की ललक है, उन्हें निजी क्षेत्र ही भाता है । राजकीय उपक्रमों में आपको तरह-तरह के अड़ंगे लगाकर कार्य नहीं करने दिया जाता, क्योंकि ज्यादातर लोग काम करते नहीं है और किसी को करने भी नहीं देते । ऐसे लोगों ने बरसों बरस से सारी व्यवस्थाओ को घुन लगा दिया है और इन स्थितियों में कार्यशील व्यक्ति का दम घुटने लगता है एंवम वह स्वयं को असहाय सा महसूस करता है ।मैं स्वरोजगार को ही महत्ता दूँगा । इससे ना केवल आप सक्रिय ही रह पाते है, वरन अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की क्षमताओं में इज़ाफ़ा करते है ।

अशोक सर जी  - मैं भी स्वरोजगार को ही प्राथमिकता देने पसंद करूँगा ,  चुकी मै कोचींग चलता हु तो अपने साथ साथ अनेकों को रोजगार के अवसर देने का सामर्थ्य भी प्राप्त होता है।

जीतेन्द्र कुमार - स्वरोजगार... अपने हाथ जगन्नाथ और साथ ही साथ देश की सेवा और देश का निर्माण |

कुछ अन्य लोगो की मत -

अमित शर्मा - सरकारी जॉब सही है पर दुसरे राज्य में हो तो दिक्कत बहुत होती है 

राहुल राज - मुझे सरकारी जॉब लोगो के सेवा के उदेश्य से करना है लेकिन मै स्थानीय लोगो को सेवा कर पाता तो बेहद ख़ुशी होती और दफ्तर में साफ सुथरा का माहौल हो तो अच्छा लगता है ज्यादा से ज्यादा काम आसानी से कर पाते और हां हमे अपनी मातृभूमि और संस्कृति से लगाव ज्यादा है इसलिए कोशिस है अपने ही एरिया में चला जाऊ .

सावित्री लकड़ा - मेरे पति लेक्चरर है और हमलोग डिस्ट्रिक्ट में ही साथ साथ रहते है वैसे  मुझे भी सरकारी नौकरी मिली थी परन्तु बच्चो की देखभाल और सुकून से जीने के वास्ते ३ वर्ष में छोर दी .

दीपक साव - मै टेक्निकल पढ़ाई किया था और प्लेसमेंट मिली थी इसलिए एक छोटी सी कोम्पनी जोईन कर लिया परन्तु मुझे सरकारी नौकरी चाहिए ..चाहे वो ग्रुप C भी क्यों न हो क्युकी कम्पनी में 10 घंटे काम वो भी सुबह 11 से रात 10 बजे तक .


 अमन कुमार - केरियर में और जीवन में हर वक्त एक चैलेंज जरुरी है कुछ भी बेहतर करने के लिए|

भोला पंडित  -मल्टी नेशनल नौकरी तो लोग तो मजबूरी में पसंद कर रहे है,,....सरकारी नौकरी में तो जिंदगी और टैलेंट सब आरक्षण के भेट चढ़ जा रहे हैं------मैं खुद भुक्तभोगी हूँ। मल्टीनेशनल में कम से आपकी योग्यता का तो क़दर होता है।

परमोद कुमार - सरकारी नौकरी में एक टाइमिंग होता है जिससे आप चैन से रह सकते है परन्तु सैलरी कम होता है अगर पैसे कमाना चाहते है तो बिजनेस के पीछे भागो .



मेरी पहली - रिपोर्ताज  कैसा लगा ??

मित्रों आपसे अनुरोध है कि आप भी अपनी कीमती राय यहाँ कमेंट में दें|....

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