अखबार व पत्रिका में प्रकाशित मेरी कविताए💐

कितनी अजीब है ज़िंदगी जिसमें कुछ अच्छा लगता है, तो कुछ बुरा लगता है...कुछ पूरा लगता है, तो अधूरा लगता है, आख़िर हम किससे कहते हैं, किसकी सुनते हैं। कोई हमारे पास पास नहीं होता है, सिर्फ़ एक एहसास होता है। इन एहसासों में बोध है। एक अस्तित्व है, एक स्पर्श है, एक स्मृति है, समय की तरह अमर्त्य, द्रव्य की तरह बहाव।


प्रतिबिंब पत्रिका मार्च 2021

SBI कलीग पत्रिका













बस अच्छा लगता है हमे.......!!

https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/rahul-prasad-accha-lgta-hai-hme



मेरी पुस्तक "ये वक्त और एहसास"में 
आप मेरे सभी कविताये  व कहानिया पढ़ सकते है ।
फ्लिपकार्ट और अमेज़न पर rahul prasad के नाम से सर्च कर पुस्तक पा सकते है। या इस लिंक से भी।


E- boook यहा से पाए 




कविता प्रकाशित ख़बरवाहक मध्यप्रदेश से


कविता दैनिक टू टाइम्स लखनऊ



SBI collegue MAGZINE -JUNE 2018


अखबार व पत्रिका में प्रकाशित कविताये


दैनिक टू टाइम्स लखनऊ











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कविता-खामोशिया
दैनिक अंकुर में प्रकाशित
विजयदर्पण अखबार में प्रकाशित


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ख्वाबो के पते

मेरी आँखों में झिलमिलाते कुछ ख़्वाब
टहनियों में लटके उलझे उस पते की तरह...
एक मंजिल की जिद लिए मचल रहा है
तनाव ,उलझने, दुश्वारियाँ कहीं गहरे दबा कर
मनभेदों, मतभेदों के पत्ते गिराकर
एक पूरी जीवन गाथा कह देता है ये 
छोटा सा पता,
अपने किसी वृक्ष की शाख पर पनपने से
लेकर अपने अंत में सुख कर जल जाने तक,
बचपन, जवानी, बुढ़ापा और फिर भस्म बन
जाने का ये चक्र,
पर हम इसकी  हरियाली देखते हैं,
इसका वो स्वरूप नहीं जब ये अपना स्थान छोड़
नए कोपल के लिए खुशी खुशी सुख कर
वृक्ष से अलग हो जाता है,
आंधी में उड़ता, इधर से उधर भटकता
फिर की झाड़ू के नीचे आ किसी कचरे के
ढेर में फेंक दिया जाता है, कमाल की बात है न,
कल तक अपनी हरियाली से
सब की आँखों में चमकने वाला ये पत्ता,
आज सुख जाने के बाद नजरअंदाज कर
दिया गया है...
चिंता है तो आशा भी स्वभाविक
 इसी जीवनचक्र में 
बुंदाबून्दी की सावन से
हरिमय होने का... 





प्रभात खबर ने मेरी छोटी सी कविता

"रांची का मौसम " प्रकाशित किया।

शिमला और मसूरी जैसे, ठंढा मौसम है आज रांची में ।
धुंध और कोहरे से जम गए, ऐसा मौसम है रांची में ।।

धूप मिले न सूरज निकले, ठिठुर के रह गए रांची मे। 
शाल रजाई काम न आये, ऐसा मौसम है रांची में ।।

स्कूलों में छुट्टी हो गई, ताले लगे हैं ऑफिस में ।
रफ़्तार रुकी है कोहरे से, सब ट्रेनें लेटलतीफी में ।

सरगर्मी बस चौपालों में, ऐसा मौसम है रांची में ।।
शहर गली सब हाट हैं सूने, सन्नाटे हर मॉल में।
पर चाय वाले तो खूब मस्ती में, ऐसा मौसम है रांची में ।।




प्रभात खबर 10.3.2018
कविता






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वर्तमान अंकुर में प्रकाशित -लिखना



कविता - "उसका दायरा" नॉएडा से प्रकाशित दैनिक अखबार वर्तमान अंकुर में प्रकाशित

प्रभातख़बर में प्रकाशित -बेतला पार्क

इन्द्रधनुषी यादे"वर्तमान अंकुर में प्रकाशित


1


2

अगर तुम आ जाते
http://loksamvaad.in/2018/02/06/अगर-तुम-आ-जाते-राहुल-प्रसा/



Friends
These poems has been published by AMARUJALA , loksmwad, SBI ......

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https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/rahul-prasad-meri-kya-khta-hai




4 लिखते है एक नई किताब
likhte hai nai kitab



5 जरूरी है
जरूरी है गजल

6 आंच
http://loksamvaad.in/2018/02/15/आंच-राहुल-प्रसाद/




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