एक परदेशी का पीड़ा-गीत (कइसे अईयव घरअ जवरिया)

कोरोना से प्रभावित्त एक परदेशी का पीड़ा 
गीत -  "कइसे अईयव घरअ जवरिया"
(राहुल प्रसाद, 29.3.2020)
 (पलामू के मगही भाषा में )
मुखड़ा-
हम न रहब..मांई... दिल्ली नगरिया...
कइसे अईयव घरअ जवरिया...
बंद भइल सउँसे झारखंडअ डहरिया
कइसे अईयव घरअ जवरिया...
हम न रहब...मांई... दिल्ली नगरिया...
कइसे लौटियव घरअ जवरिया...

अंतरा-
यही सोची सोची दिमाग भइल फेल माई
मोदी जी कर देलन... प्लेन बंद रेल माई
यही सोची हर..हर... ढरकत लोरिया 
कइसे अईयव घरअ जवरिया...
अब न रहल जात ..दिल्ली नगरिया..
कइसे अईयव घरअ जवरिया...

कइसन बीमारी आइल....कोरोना वायरस हो
खत्म भइल राशन पानी ...खत्म भइल गैस हो
कइसन महामारी फैलल ..कोरोना वायरस हो
खत्म भइल राशन पानी ...खतम भइल गैस हो
चलऊ नही एकर आगे... कउनो..उपचरिया
कइसे अईयव घरअ जवरिया...
बंद भइल...डालटनगंज स्टेशन बजरिया..
कइसे अईयव  घरअ जवरिया...
हम न रहब...बाबूजी....लुधियाना शहरिया..
कइसे अईयव घर जवरिया...

घरअ परिवार.. बिना..दिलअ सुना सुना 
हम न कमाये आइब मुंबई..पूना
दोस्त यार..बिना.. मन सुना सुना 
अब न कमाये आइब मुंबई..पूना
बंद भेलो फैक्ट्री...कौन देतऊ पगरिया
कोई नइखे आगे धानी.. बाहर के गुजरिया
कइसे अईयव घर जवरिया...
बंद भेलो धानी.. लातेहार पलामू डहरिया
कइसे अईयव घरअ जवरिया...

याद आवअ ..धानी...सावन.. सरहुल गे
खोपेला.. हाथ तरसे तोरा जुड़ा प्लास फूल गे
याद आवअ ..धानी...सावन.. सरहुल गे
खोपेला.. हाथ तरसे तोरा जुड़ा प्लास फूल गे
ईट पारब ..मिट्टी कोड़ब ...वहीं करब चरवाहिया
कइसे अईयव घरअ जवरिया...
अब न लौटब ..धानी...कबो चेन्नई शहरिया..
कइसे अईयव घर जवरिया...

त्याग सबे..करे.ले.. निर्मित प्रदेश नगरिया
तबो कुढ़त ....मजदूरन के रूह.. शरीरिया
करअ रोजगार सृजन.. प्रमंडल स्तरिया...
हाथ जोड़..त..राहुल..रोका पलायन के बीमरियां
हम न रहब...भईया... सूरत नगरिया..
कइसे अईयव घरअ जवरिया
बंद भइल सउँसे झारखण्डअ डहरिया
कइसे अईयव घरअ जवरिया...
हम न रहब...मांई... दिल्ली नगरिया...
कइसे अईयव घर जवरिया...
कइसे अईयव घरअ जवरिया।
                              

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