मेरी गजल -जरूरी है


               मेरी गीत -गजल 
                                                                                                 "राहुल प्रसाद"

 मेरा पहला प्रयास- गजल  लिखने का।

=मेरा पहला गजल
   वेबदुनिया में प्रकाशित
कुछ बाते अधूरी है , कहना भी जरूरी है 
बिछड़ना मजबूरी था , मिलना भी जरूरी है।

आज सुन भी जाओ ,ये फलसफा जो मजबूरी है 
दिल तोडना फिर सिलना, ये कैसी फितूरी है।

दिल के बंजर पड़े दिवार में , इश्क की बुँदे पड़ना जरूरी है 
धड़कन रुक न जाये कहि ,ये सांसो को समझना भी जरूरी है।

नहीं संभालता ये इश्क़ अब, टूट कर बाहो में बिखरना  जरूरी है, 
तुम समेट लो बाहो में हमे , इश्क की यही दस्तूरी है। 

 जो बाते अधूरी है , कहनाभी जरूरी है

 हा दूर रहना मज़बूरी है,दिल लगनाभी जरूरी है। 

मिलना है तुझसे खुद को खोने से पहले, आज गले लगना  जरूरी है 
यादो में ही टूटकर जीना है अब ,ये जो जीवन अधूरी है 

नहीं रुकता सिलसिले दर्द का, अश्क को गिरना भी जरूरी है
फिर से अश्क को दिल के दरिया में संभालना ये कैसी मजबूरी है।


तुम पास आ  जाओ, ये धड़कन सुनना भी जरूरी है 

मन का जो प्रीत अधूरी है, प्रीत की रीत करना जो पूरी है



तेरे लबो से खुसबू चुराके, तेरी दिल की धड़कनों को बढ़ाना भी जरूरी है 

आओ प्यास बुझा जाये , ये जो वर्षो की दुरी है हां जो मिलन अधूरी है


कुछ  बाते अधूरी है , कहनाभी जरूरी है
 हा दूर रहना मज़बूरी है, तो दिल लगनाभी जरूरी है। 


==राहुल प्रसाद  ===




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