#अधूरी_ख़्वाहिशें-4" सुबह_की_सैर"
जलाता हूं विश्वास
का आज भी
दिया
मगर दिल में
मेरे रोशनी नहीं होती
बढ़ाता हूं राहों पे आज भी कदम मगर सफर है कि मेरी पूरी नहीं होती
सिलवासा, Oct,2015
आज से सुबह टहलना शुरू ही किया
ही था फिर तेरी याद आई-
**********
#प्रेम_का दूसरा नाम समर्पण होता है... प्रेम में त्याग की जरूरत होती है...प्रेम भगवान है...यही सब विचार मन में रह-रह के आ रहे और मन को रूह से कहीं दूर लेकर चले जा रहे...फिर एक ख्याल आता है चलो सायकल से सैर पर निकलते है...सुबह के 5 बजे है अभी ...एक घण्टे में आ ही जाऊँगा.....गले में मुफलर डाल ,जुल्फों को बिखेर के चक्कर लगाता हु ,कानों में इयरफोन डालता हूँ,होंठो पे हल्की मुस्कान लिए ...अब रेड कलर की सायकल पे सवार होकर तितली की तरह उड़ते हुए निकल जाता हूँ...
मुस्कराने की वजह तुम हो...गुनगुनाने की वजह तुम हो ...ये गीत कानों में मध्यम ध्वनि में गूँजता है..ख्यालों में सिर्फ तुम्हारी छवि नजर आने लगती है...हाँ मुस्कराने की वजह तो तुम ही हो...तुम्हे तो पता ही नही ...तुमसे प्यार हो गया है मुझे...जब प्यार होता है न तब खुद को ही खुद की खबर नही होती...सब कुछ नया-नया लगता है...किसी की कड़वी बातें भी बुरी नही लगता...सायकल चलती जा रही थी और यादों के साथ-साथ तुम भी चल रहे थे...
फूलो पे ध्यान जाता है ...दो रंग के गुलाब रख लीया थी...एक लाल और दूसरा पीला...पीला दोस्ती का प्रतीक और दूसरा लाल वाला मोहब्बत के लिए...मोहब्बत में तो दोस्ती जरूर होनी चाहिए...इसलिए दो रंग के गुलाब तोडा.था..मन में एक ख़्वाहिश थी इधर ही कहीं तुम मिल गये तो ये गुलाब तुम्हे भेंट करूँगा...फिर निकल लूंगा गुनगुनाते हुए...मुस्कराने की वजह तुम हो...
मेरी ख़्वाहिशें पूरी कब होती है...तुम तो दिखे ही नही न कभी...तुम दिख भी गये तो पहचानूँगा कैसे...फिर एक मोड़ पे आकर रूकता हूँ...एक नवविवाहित जोड़ी चबूतरे पे बैठे दिखे
दोनों गुलाब उन्हें जाकर दे देता हूँ...वे दोनों भी एक मुस्कान बिखेर देते है...और मुझे शुक्रिया अदा करते है...उनकी मुस्कान में तुम नजर आ रहे थे...यही तो है सच्ची मोहब्बत...काश! तुम भी होते यही...तो पता है यही कहते..राहुल! तुम बहुत ही भोले लड़के हो...दिल की खूबसूरत हो...और ये ख़्वाहिशें भी हमेशा आभास कराती है मुझे...सच कहु ये मेरा हज़ारो सपनो में सबसे प्यारा ख्वाईश था कि रोज सुबह की सैर में रेड रोज
तेरी क़ोमल हाथों में थमाँकर कहता k.. लव यू। जिसका गवाह बगीचे के चुचुहति चीड़ीये बनती और हरी भरी पेड़ बागीया से निकलती सुहानी हवाए हमारी प्यार की खुशबु को
हमारी ऑफिस तक पहुचाति!
खैर वक्त क़ो ये सब मंजूर न था
न जाने तू म कौन सा देश चली गयी कि अब तेरे शहर कि हवा क़ी रुख भी मेरी तरफ नही मुड़ रही!
ये सोचकर हम तेरी यादो में भी खुश हो जाते है
जो भी हो कुछ ख्वाइशें अ धु री भी बेहतरीन होती है...
जिन्दगी में जिन्दगी से हर चीज मिली, मगर उसके बाद जिन्दगी न मिली, ऐ जिन्दगी तू बहुत खूबसूरत हैं लेकिन उसके बिना कुछ भी नही ।
बहुत दिनों बाद
**********
'''राहुल -आधा सा लेखक '''
मेरे रोशनी नहीं होती
बढ़ाता हूं राहों पे आज भी कदम मगर सफर है कि मेरी पूरी नहीं होती
सिलवासा, Oct,2015
आज से सुबह टहलना शुरू ही किया
ही था फिर तेरी याद आई-
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#प्रेम_का दूसरा नाम समर्पण होता है... प्रेम में त्याग की जरूरत होती है...प्रेम भगवान है...यही सब विचार मन में रह-रह के आ रहे और मन को रूह से कहीं दूर लेकर चले जा रहे...फिर एक ख्याल आता है चलो सायकल से सैर पर निकलते है...सुबह के 5 बजे है अभी ...एक घण्टे में आ ही जाऊँगा.....गले में मुफलर डाल ,जुल्फों को बिखेर के चक्कर लगाता हु ,कानों में इयरफोन डालता हूँ,होंठो पे हल्की मुस्कान लिए ...अब रेड कलर की सायकल पे सवार होकर तितली की तरह उड़ते हुए निकल जाता हूँ...
फूलो पे ध्यान जाता है ...दो रंग के गुलाब रख लीया थी...एक लाल और दूसरा पीला...पीला दोस्ती का प्रतीक और दूसरा लाल वाला मोहब्बत के लिए...मोहब्बत में तो दोस्ती जरूर होनी चाहिए...इसलिए दो रंग के गुलाब तोडा.था..मन में एक ख़्वाहिश थी इधर ही कहीं तुम मिल गये तो ये गुलाब तुम्हे भेंट करूँगा...फिर निकल लूंगा गुनगुनाते हुए...मुस्कराने की वजह तुम हो...
मेरी ख़्वाहिशें पूरी कब होती है...तुम तो दिखे ही नही न कभी...तुम दिख भी गये तो पहचानूँगा कैसे...फिर एक मोड़ पे आकर रूकता हूँ...एक नवविवाहित जोड़ी चबूतरे पे बैठे दिखे
दोनों गुलाब उन्हें जाकर दे देता हूँ...वे दोनों भी एक मुस्कान बिखेर देते है...और मुझे शुक्रिया अदा करते है...उनकी मुस्कान में तुम नजर आ रहे थे...यही तो है सच्ची मोहब्बत...काश! तुम भी होते यही...तो पता है यही कहते..राहुल! तुम बहुत ही भोले लड़के हो...दिल की खूबसूरत हो...और ये ख़्वाहिशें भी हमेशा आभास कराती है मुझे...सच कहु ये मेरा हज़ारो सपनो में सबसे प्यारा ख्वाईश था कि रोज सुबह की सैर में रेड रोज
तेरी क़ोमल हाथों में थमाँकर कहता k.. लव यू। जिसका गवाह बगीचे के चुचुहति चीड़ीये बनती और हरी भरी पेड़ बागीया से निकलती सुहानी हवाए हमारी प्यार की खुशबु को
हमारी ऑफिस तक पहुचाति!
खैर वक्त क़ो ये सब मंजूर न था
न जाने तू म कौन सा देश चली गयी कि अब तेरे शहर कि हवा क़ी रुख भी मेरी तरफ नही मुड़ रही!
जानता हूँ तू कभी वापस नहीं आएगी मेरे पास लौट के,
पर फिर भी तेरी रूह पे तो हमेशा मेरा ही हक़ रहेगा न ! ...
ये सोचकर हम तेरी यादो में भी खुश हो जाते है
जो भी हो कुछ ख्वाइशें अ धु री भी बेहतरीन होती है...
जिन्दगी में जिन्दगी से हर चीज मिली, मगर उसके बाद जिन्दगी न मिली, ऐ जिन्दगी तू बहुत खूबसूरत हैं लेकिन उसके बिना कुछ भी नही ।
बहुत दिनों बाद
खिड़की खोला था साफ-साफ दिखता काँच के उस पार लगता था नयी धूप आएगी फूल खिल जाएँगे नई पत्तियाँ उगेंगी वसंत फिर आएगा धीरे-धीरे एक काँच खिसकाते ही मिला शीतल झोंका धीरे-धीरे क्यारी में फूल खिलने लगे
कि जैसे वसंत समाया था हर कण में अचानक गहराया नभ एक तेज़ झोंका आया रेत ही रेत बिखर गई फूलों पर - आँखों में छितरायी पंखुड़ियाँ पत्तियाँ छलछलायी आँखें हम अक्सर भूल जाते हैं मौसम बदला करते हैं तो क्या मुझे खिड़की खोलनी ही नहीं थी? या सिखा गई मुझको जीवन का एक अध्याय। ...
रख सको तो एक निशानी हैं हम, भूल जाओ तो एक कहानी हैं हम, ख़ुशी की धूप हो या हो ग़म के बादल, दोनों में जो बरसें वो पानी हैं हम।
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'''राहुल -आधा सा लेखक '''
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