अनुभव 2017 & नववर्ष 2018 "

आहा!! 2018  आ गया ...।
जो भी हो बीता वर्ष बीत गया और ले गया अपने साथ खट्टी बाते ,कड़वी बाते ,टूटे भरम ...माफी लेने 👏देने के साथ ही
अपने साथ रक्खी है मैंने मीठी यादे ,प्यारी बाते ,सच्चे वादे , नई गोल..एक बार फिर संकल्प लिया है की पहले से ज्यादा खुश और सफल बनूंगा ,ओजपूर्ण विचारधारा का सृजन करुँगा ,मित्रो सहयोगी और परिवारजन को खूब हँसाउगा...पर कैसे ? 2017 की अनुभव तो सामने आ जाती..?
 यू ही रोज़ हम पुरे दिन कई अनुभवो से गुज़रते है ,जाने कितनी समस्याए मूड ख़राब करने को तैयार बैठी रहती है, माथे की लकीरे कब चेहरे के स्थायी भाव में बदलने लगती है , पता ही नही चलता ,बचपन कितनी बेफिक्री से गुज़रता है , यौवनावस्था पंख लगाकर उड़ जाती है फिर जैसे -जैसे हमारी जिम्मेदारियां बढ़ती है हम गंम्भीरता ओढ़ने लगते है ,कमाने और घर चलाने के चक्कर में उलझने लगते है ,हँसी के अनमोल ख़ज़ाने में जब समस्याओ की सेंध लगती है तो मन का लॉकर धीरे धीरे खाली होने लगता है ,हमे पता भी नही चलता कि कब हँसी के हमारे खाते का बैलेंस जीरो हो गया , सब कुछ पहले जैसा होता है ,प्रकृति में हर चीज़ मुस्कुराती है
बस इंसान  अपनी मूल प्रवति खोता है और फिर शुरू होती है उसे ढूंढने की कवायत ...तो मेरी भी यही कोशिश है की इस वर्ष मैं पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक रचनात्मक बन सकु , आप सब के साथ अपने विचार साझा कर सकूँ ,ढेर सारी खुशियो का आदान -प्रदान कर सकू कभी प्रतिक्रिया के रूप में तो कभी रचना के रूप में ।
इंसान को आवश्यकताएँ काफ़ी कुछ सिखा जाती हैं, हमारा नये वर्ष मे भी घर से दो हजार km दूर की मंजिल पर डटे रहना औऱ निष्ठा एव जिम्मेदारी से काम को आगे बढ़ाना इस बात को बख़ूबी बताती है।
साथ ही ये भी साबित होता है कि हम सकारात्मक पहलू को कसके पकड़ते है।
कर्म ही पूजा है ये तो अटल सत्य है पर कर्मस्थल और मन के अनुरूप कर्म करने से जिन्दिगी थोड़ी आसानी से गुजरती है ।
अटल सत्य के साथ जिन्दिगी को भी समझे तो परिणाम बेहतर होंगे।
हम अभावों से मुक्त होना चाहते हैं, इसलिए हम बहुत मेहनत करते हैं। कुछ सपने देखते हैं, तो कुछ सपनों को मार देते हैं। नहीं मार पाते हैं तो अपने जिगर के टुकड़ों को। नहीं भूल पाते हैं उनको, जिन्होंने हमें जन्म दिया। जन्म के रिश्ते हों या प्यार के रिश्ते, हर रिश्ते में कभी कशमकश, तो कभी सुकून। कभी आशा,तो कभी निराशा। बदलते हुए हालात में हम रोज़ एक नई परिभाषा गढ़ते हैं। कभी डगमगाते हैं, तो कभी ख़ुद को सँभाल लेते हैं। ख़ुद को समझाते हैं, ख़ुद पर भरोसा करते हैं, हालात से समझौता करते हैं। अकेले रोते हैं और ज़माने के सामने हँसते हैं। एक वक़्त ऐसा आता है, जब हँसते-हँसते सारे रास्ते कट जाते हैं।
हर उम्र को अनुभव की दरकार होती है और अनुभव के लिए एक वक़्त मुक़र्रर है। जवानी में कई बार बातें समझ नहीं आतीं, लेकिन बुढ़ापा आते-आते ज़िंदगी में हलचल मच जाती है। कई पुराने सहयोगियो  के स्वस्थय और frustration देखने से कई चीज़ें बिल्कुल साफ़ हो जाती हैं। स्त्री हो या पुरुष, वक़्त ही उसे परिपक्व करता है। अपनी आदतों के साथ जीना आसान होता है, लेकिन जब दूसरों के लिए अपनी आदतों को बदल देते हैं तो जीने के असली मायने के एहसास होते हैं।
जीवन में  बदलता वर्तमान बार-बार हमे त्याग और समर्पण के लिए मजबूर करता है। हर बार अपने आपको परिस्थितियों के साथ समायोजित करत चले जातै है।
मेरे हालात बदल गये हैं इसी उम्र ने अनेक पड़ाव तय कर लिये हैं, लेकिन ज़िंदादिली में कोई कमी नहीं आयी है।
इस 26 साल की जिंदगी की
कहानी में बचपना शरारत हँसी उमंग पढ़ाई डर गलतियां सिख सपने, मेहनत ,गुजरते वक्त ,खोती बचपन, यौवन
जीत हार सबक ,  सीढ़ी ,मंजिल, चैलेंज ,वर्क,
भागदौड़ , टेनसन,जिमेदारी, प्रेम ,
ईमानदारी ,निष्ठा, निःस्वार्थ सेवा, दूरी, बनते रिश्ते के साथ रिश्ते परिवार की डोंर होती कमजोर, आशा,जीवन
जैसे सभी अनुभव औऱ बेटा भतीजा भाई दोस्त सभ्य नागरिक जैसे किरदार के  रूप में जिमेदारी पूर्वक अपने
 परिवार औऱ समाज के अलग-अलग संबंधों को जीते हुए अलग-अलग समीकरण बनाते और हर समीकरण को हल करते हुए आगे बढ़ते ।
वैसे तो जीवन दु:ख सुख का संगम ही है पर मैने देखा है जीवन मे प्रेम- बिस्वास-मेहनत ही तो है जो हर ग़म, हर ज़िम्मेदारी को साधते हुए आगे बढ़ने की चाभी है और मुस्कुराने की एक बेहतरीन वज़ह भी। दो लाइन में कहा जाए तो-
😊हजारों उलझने हैं राहों में, और कोशिशें बेहिसाब
💐इसी का नाम हैं जिन्दगी, चलते रहिए जनाब...☺!

आज चांद के ओझल होते ही अंधेरे की सियासत ख़त्म हो जाएगी और जब सुबह सूरज अपनी पहली किरण बिखेरेगा तब वह सुबह 2018 की होगी । नए साल में  नई उमंगें और नई तरंगें होगीं | हर्षो उल्लास भी होंगे और खुशियाँ भी होगीं | नये-नये अवसर होंगे | नये रास्ते भी होंगे |
लेकिन मेरे दोस्तों, परेशानियाँ और चुनौतियां भी कम नहीं होंगी | परन्तु डरेंगे नहीं, हारेंगे भी नहीं, करेंगे हमलोगों मिलजुल कर तमाम चुनौनियों का सामना | जितनी समस्या भयावह होगी जीत की मिठास भी उतनी अधिक होगी | आने वाले साल में जितना बड़ा विलेन हमारी जिदगी को, मिशन को तबाह करने के इरादे से आएगा उतने ही बड़े हीरो के तौर पर उभरेंगे हमलोग | बस जरुरत तो डटे रहने की है | अपने अथक परिश्रम के साथ | ईमानदारी और मन में विश्वास के साथ | मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूँ कठिनाइयों से लड़ते हुए, समस्यायों से जूझते हुए हमलोग मंजिल तक पहुँच ही जायेंगे | और आने वाला नया साल भी हमारा ही होगा | नये साल के लिए ढेरों सारी शुभकामनायें |



2018  आप सभी के जीवन में अनंत खुशिया लाये ।
आप सभी से स्नेह💝 की अभिलाषी ।
~राहुल~
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…💐2018💐....

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