लिखते हैं एक नई क़िताब

 मेरी तीसरी कविता लिखते हैं एक नई क़िताब वेबदुनिया ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित


  लिखते हैं  एक नई क़िताब


ये ख़्वाहिशें, ये चाहतें, ये धड़कनें बेहिसाब
चलो मिलकर लिखते हैं  एक नई क़िताब

ये नया सवेरा, ये नया दिन, ये नई नवेली रात
चलो मिलकर करते हैं फिर कोई नई रूमानी बात

न कहना, न सुनना, सिर्फ़ तेरा यूँ ही ख़ामोश रहना
चलो मिलकर करते हैं फिर पुरानी शरारतों का हिसाब

ये कहानी, ये क़िस्से, ये मुहब्बत की दास्ताँ
चलो मिलकर देते हैं फिर इसे एक नई जुबाँ

न ढूँढ़ो तुम वफ़ा को, न चाहो कुछ वफ़ा से
चलो मिलकर देखते हैं फिर बंद आँखों से नए ख़्वाब

ये मौसम, ये मस्तियाँ और ये फूलों की महक
चलो मिलकर देते हैं एक-दूसरे को नए गुलाब

ये ख़्वाहिशें, ये चाहतें, ये धड़कनें बेहिसाब
चलो मिलकर लिखते हैं फिर से वही प्रेम भरा क़िताब💝

~राहुल प्रसाद ~2016
(पलामू झारखण्ड)



Comments