श्रृंगार रस की पंक्तिया लिखने की कोशिश

ज़िंदगी के हादसों ने नासमझ बना दिया,
सोचता कुछ और हूँ होता कुछ और है……

शुरू दिल की बाते लिखने लगे फिर प्रेम  विरह, मिलन और त्याग वाली कविताएं रचनाओ में रुचि हुआ अब तो श्रृंगार रस भरी कविताओं के प्रति आकर्षित हो रहा हूं -
श्रृंगार रस की कुछ 3 पंक्तिया लिखने की कोशिश

1
देख रहे घटाएँ, बादल, हवाएँ, कविताएँ और धूप
तभी याद आये आपका सुंदर-सुंदर रंग और रूप,
स्नेह-प्रेम, टिस ,वादे ,इरादे सब एहसास कराये सर्दी की धूप

2
 तस्वीर तेरी एक और दुआएँ हज़ार
जैसे पतझड़, सावन, वसंत, बहार
धूप सुनहरी,प्यार की कलियाँ,मनमीत प्रहरी,मन की बगियाँ, सुगंध से भरी, प्रीत की नदियाँ मन को भाता तेरा इंतजार

3
 देखना, मिलना, इजहार
इलज़ाम, लड़ाई, सफ़ाई वो प्यार के सिलसिले
शाम, याद, एहसास ,अनिद्रा, तनहाई,
रुबाई फिर वो प्यार के सिलसिले
रूठना, रोना, रुलाना फिर वो माफी शिकवे गीले
दूरी ,नम आखे, पैग़ाम,सपने वादे इरादे दुहाई, मुसकाई और फिर वही प्यार के सिलसिले!
4उड़ती ज़ुल्फ़ें, बरसते बादल
कभी झूमती हवाएँ, कभी बरसते बादल
कभी तेरा मुखड़ा, कभी तेरा पायल
कभी मेरा भीगा मन, कभी तेरा महकता बदन
कभी बहुत राहत, कभी बहुत घायल
 ये.कैसी खूशबू     , ये कैसा मौसम
भीग-भीगकर हो गये पागल
उड़ती ज़ुल्फ़ें, बरसते बादल………


5

बेताब आँखे,,  बेचेंन दिल,,
बेपरवा साँसे,,    बेबस ज़िन्दागी,,
बेहाल हम,,  बेखबर  तुम..

ये जो पंक्तिया है, जिसमें कल्पना है , भावों की सरिता है, चित्रों की  स्मृति है, कुछ अतीत है  और कुछ वर्तमान है ! अंतत: एक अरमान है !!
Rp



मां


Comments