●सह्याद्रि और सागर ●(यात्रा वृतांत लेखन एक छोटी प्रस्तुति)

सह्याद्रि और सागर


भौगोलिकता में भारत एक वरदान है।

पर्यटक दृष्टि से प्राकृतिक सुंदरता,पहाड़ी आकर्षण, ऊँची ऊँची शिखर चोटियाँ, थार, बर्फीली पर्वते, बड़ी नदिया, हिल स्टेशन, झीले, दर्रे ,द्वीप,समुद्री तट,गुफाएं,  किले आस्था के पवित्र स्थलों आदि से भारत भरा हुआ है यहां सभी क्षेत्रो में एक विशेष तरह के प्रकृति मिलती है और उससे जुड़े खास तरह के जैवमण्डल भी।

भारत एक अद्धभुत राष्ट्र है, भाषा बोली, संस्कृति ,खानपान रहन सहन एवं प्रकृति सम्पदाओं में बहुत विविधता है पर सब एक दूसरे को कनेक्ट किए हुए एकता में बाँधे है।


जंगलो के बीच सडकें, क्षितिज तक फैली छोटी-छोटी पहाडियां, खिलखिलाती नदियां, श्वेत चादर सरीखे जल-प्रपात, मखमली घास के मैदान...खनिज सम्पदा समेत छोटे से झारखण्ड में बहुत कुछ समाया हुआ है 

प्रकृति यहां सुकून का गीत गाती है। हर कदम पर कुछ नया, कुछ रोमांचक और थोडी ताजगी है। यायावर को और क्या चाहिए!

लेकिन उष्णकटिबंधीय सुंदरता के बीच वर्क एवं लिविंग हलचल से दूर

थोड़ी समय व्यतीत करने से मूड  फ्रेश हो जाता है या यू कहे कि प्रकृति प्रेमी की रुख भ्रमण की ओर रहता है।


मेरा जीवन यायावर प्राणी की तरह रहा है, गांव के किसान परिवार से हूं बचपन से हरियाली रूह तन में समाई हुई है झारखण्ड के खूबसूरत वादियो में पला बढ़ा पढ़ा हूं वहां की खेत,जंगल, पहाड़,

झरने,नदिया प्रकृति मेरे लहू में है इसलिए जहां कही भी रहा मैं उस क्षेत्र के प्रकृतिक से घिरे स्थानों की तरफ दौड़ा चला जाता हूं चाहे वह मेट्रोपोलिटन क्यो न हो!

नौकरी की तलाश में एग्जाम देने हेतु इधर उधर कई जगह गया और वहां की विशेष प्लेसेस घुमा परन्तु मुझे जॉब करने का मौका समुंद्री क्षेत्र में मिला और अब तक समंदर से कनेक्टेड एरिया में ही पोस्टिंग हुई।

चाहे कोई कितना भी ऊँची पहाड़ी चढ़ता हो किंतु अचानक उसे गहरी उफनती समंदर में उतार दिया जाए तो डर सताएगी ही। मेरा पहला पोस्टिंग सागर से घिरे क्षेत्र में हुआ।

अरब सागर की तेज लहरो से टकराती ब्रांच महज 100 कदम दूरी पर हां माधवपुर घेड़ ब्रांच जो कि पोरबन्दर जिले के 20 मील दूरी पर द्वारका-दीव(NH-51)हाइवे में  5km लम्बी समुद्री तट (सी शोर) है।

एक साइड से समंदर तो दूसरे साइड से यह पंचायत हरे भरे ताड़ खजुर नारियल के पेड़ व ओशो के आरक्षित जंगल व संगमरमर वाली पत्थरो से घिरी है। गांव बेहद खूबूसरत है उससे भी ज्यादा वहां के कृष्ण भक्ति में लीन लोग। मुगलो द्वारा खण्डहर की गई भगवान कृष्ण रुक्मिणी की शादी मंडप के मंदिर जो आज भी अरब सागर की उफान से लड़ती रहती है। शुरू का एक वर्ष मेरा पोस्टिंग बिल्कुल टूरिष्ट प्लेसस में रहा।

गुजरात के काठियावाड़ के तटीय क्षेत्र की ठीक मध्य मे माधवपुर,पोरबंदर है, सागर को स्पर्श करती हुई  विंड एनर्जी (बड़ी बड़ी डायनों) से लैश 250 km की उस हाइवे पर बहुत माका है(एक छोर से दूसरी छोर चक्कर) द्वारका,भेरावल,सोमनाथ,दीव, गीर,जूनागढ़,जामनगर का भ्रमण रहा।

दूसरी पोस्टिंग सिलवासा हुई ये छोटी सी दादर नगर हवेली एक तरफ नासिक के घने जंगलो से घिरी है और दूसरी तरफ दमन की दरिया से।

उमरगाव,दमन वीकएंड तो मुम्बई की दरिया कई पखवाड़े गए। महाराष्ट्र गुजरात DNH की बोर्डरों की एक खास बात यह है कि इसे सह्याद्रि पर्वत श्रेणी  अलग करती है जो साउथ की ओर जाती है जिनमे कई हिल स्टेशन है।

वेस्ट इंडिया डवलप है और यहां पर्यटन  पर खासा ध्यान दिया गया है।

वेस्टर्न घाट रेंज में विशाल कतारबद्ध पेडों के बीच गुजरती चौड़ी सड़के शीतल हवाएं मन मोहती है। जंगलो से उतरती नदिया व पहाड़ो की दृश्य रमणीय है और हरेक सौ-दो सौ किलोमीटर की दूरी पर प्रशिद्ध धार्मिक स्थल है।


गुजरात के अंदरूनी क्षेत्र में जंगल पहाड़ बहुत कम है लेकिन बाहरी क्षेत्र में ऊंचे चट्टानो एवं घने जंगल है। एक तरफ गुजरात-राजस्थान को अलग करनेवाली लम्बी उच्ची गुरुशेखर पर्वत श्रेणी(माउंट आबू) मोहित करती है K2 के बाद यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची(1722मीटर) शिखर है यहां बहुत फेमश सनसेट पॉइंट है। गुजरात राजस्थान की दूसरी बॉर्डर व्हाइट सैंड डेसर्ट (कच्छ की रन)।


केवड़िया स्थित सबसे उच्ची मूर्ति  (स्टेच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर) नर्मदा नदी पर स्थित विशालकाय सरदार सरोवर एवं महेश्वर बांध

गुजरात-मध्यप्रदेश को अलग करती हुई वहां की जलाशय और सतपुड़ा एवं विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं का मनोरम दृश्‍य नजर आता है।

हरी भरी वृक्षो,पर्वतो से घिरे हिल स्टेशन खास करके रेनी सीजन में और भी ज्यादा सुंदर व आकर्षक होती है।

सापुतारा, गुजरात महाराष्ट्र को अलग करती उच्ची सह्याद्रि पर्वत। महाराष्ट्र के हिल स्टेशन महाबलेश्वर,लोनावला,माथेरन, कोंकणी क्षेत्र में रत्नगिरि, मालवण और उसके आगे  एंजोयबल गोवा की रोमांचित फारेस्ट व बीचेस।

इससे पहले उड़ीसा के पूरी,चांदीपुर,(आंध्र प्रदेश बॉर्डर) गोपालपुर में बंगाल की खाड़ी को देखा था अरब सागर की अपेक्षा यहां समुद्री जीव अधिक देखने को मिलते है।

ये सब सुनने से कही अधिक मैप देखने से जान सकेंगे


समंदर तो लगभग सब एक जैसे ही होते है लेकिन डेवलपड टूरिस्ट् प्लेसेस की वजह से वेस्ट इंडिया पर्यटकों को ज्यादा आकर्षित करती है।

 

एक सवाल यह कि ये समंदर इतना खारा क्यो होती है??

.....चूंकि सृष्टि में अधिकांशतः पिंड क्षार के रूप में है। मिटी, लकड़ी, मृत,बादल , चट्टान , खनिज , राख, खून, आंसू..यहां तक हमारे पसीने।

वर्षा आती है सबको धोते हुए नदी नाले होते हुए अंततः सागर में समा जाती है इसलिए पानी बहुत खारा होती है।

इस अथाह पानी में भी जहाज नही डूबा करते जब तक कि उस खारे पानी को अपने अंदर घुसने दे। ठीक हमारा जीवन भी नाव जैसे चलता रहता है जब हम नकारत्मकता मन मे नही लाते हमारा लाइफ स्मूथली चलता है।


प्रकृति की नशा है समंदर, वो भी ऐसी की सारी दुख तकलीफे सोख लेती है और अनचाहे तनाव भी।

दरअसल समंदर बनी ही है धरती गगन की अवक्षेपण सोखने और मुलायम रखने को।


"द्वीप दरिया आपको बुलाती ही है तरोताजा करने"

~ राहुल प्रसाद (राह)

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