#पापा-के नाम एक चिठी✍


#पापा-के-नाम एक ✍" चिठ्ठी 2015"

​#पापा_आपके_लिए_पत्र_है, कितने दिनों से नही लिखी थी ना पढ़िएगा ज़रूर और आशीर्वाद दीजिएगा अपने नालायक बेटे को

प्रणाम पापा
#कैसे_हैं_पापा _आप ? उम्मीद है बहुत अच्छे होंगे मैं भी ठीक हूँ, बाकी आप तो जानते ही होंगे कितना ठीक हूँ अपना हर कदम कैसे उठा रहा हूँ ये भी जानते होंगे, वक्त और हालत इसकी इजाज़त नहीं देते मगर मुझे बढ़ना है मैं सारी  ज़िन्दगी यहीं खड़ा नहीं रह सकता परिस्थितियां जंजीरों की तरह पैरों में जकड़ी हुई हैं पोसटीगं बहुत दूर मीला समुंदर किनारे जहा अरब सागर.दिन रात उफान मारती है (माधवपुर-पोरबन्दर)

#मगर_आपके बेटे ने हार नहीं मानी कभी और ना कभी मानेगा कल रात आप आए थे  प बिना कुछ बोले सर पर हाथ फेर कर चले भी गए बिलकुल घर कि तरह   मैं कितना कुछ बोलना चह रहा था मगर पता नहीं क्यों बोल ही नहीं पाया सुबह उठा तो आप गायब थे या ऐसा कहूँ कि मुझे दिख ही नहीं रहे थे शायद सपना ही नसीब है मेरा
जानते हैं पापाजैसा भी है सब ठीक हैमेरे साथ बहुत अच्छा पहले रहा ही कब है मगर मैं ठीक हूँएक कमी है तो बस आपकी, "पापा" गांव छोड़ने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, जब हिम्मत हरने लगता हूँ 
तो कोई आपकी तरह समझाने वाला नहीं होता ये कह कर कि “तू चिंता क्यों करता है मैं हूँ ना ” अब मुझे आपका मेरे पास ना होना चिंता करने पर मजबूर कर देता है  इतनी बड़ी भीड़ में अकेला हो गया हूँ 
बहुत पढ़े लिखे कलीग है मेरे लेकिन ज्यादातर प्रोफेसशन के नाम
झूठ के सहारे जीते है चापलूसी भरपूर करते है और तो और मॉडर्न लाइफ का हवाला देकर सिगरेट शराब में मशगूल है मगर मै बहकने वाला नही वैसे भी इन चीजों में मेरी रति भर रुचि नही है। " जिमेदारी लेकर ईमानदारी से मेहनत" आपका वाचन का हमेशा पालन करता हु। वैसे भी लोगो को बैंकिंग सेवा देने में अव्वल आता है मेरा । भले ही यहाँ की भाषा, मैं बोल नही पाता लेकिन लोगो के मुस्कान से अहसास होता कि लोग हमारे काम से खुश है।
ऐसे ही मन बहल जाता है मगर आगे कि पढ़ाई नही हो पा रही।
आपके साथ रहने  से हिम्मत थी एक ताक़त थीये सोच  कर कि पापा हैं ना सही रास्ता बताने वाले आपके  डर से ही सही  मैं मेहनत से पिछे ना हटते!  अभी क्या दिन भर बैंक में काम करके फिर सो जाता हु टाइम का कुछ पता नही चल रहा शायद आप साथ होते तो मै आगे की मंजिल आसानी से हासिल कर लेता!अबअब तो बस खुद को खुद ही समझाना है 
खुद को खुद ही बहला लेना है  माँ को भी कितना परेशान करूँ रोज रोज फोन करके.के वो तो खुद ही बड़ी मुश्किल से खुद को सम्भाले हुई है अब वो भी समझने लगी है कि.मैं झूठा दिलासा देता हु.  साथ रहने का। मूझे पता हैं कितने साल से होली दिपावली पर खूब बिलकती है उसकी आखे  फिर भी सिने पर पथर रखके मेरी मजील पाने हेतु देवी मईया से दुआ मागती रहती हैं।
खैर ये सब तो चलता ही रहेगाआप तो जानते हैं मैं जिद्दी हूँ पहले कब हारा था जो अब हरूँगा  आपको 
याद है एक बात आप मेरे  सरजी से अचानक से मिले थे. जब मुझे दो बार इनटरभीव मे कम अंक मिला था और CMPFO(coal india -inspector) के फाइनल लिस्ट में मेरा अच्छा अंक होने के बावजूद मेरा नाम नही था मैं काफी हतास हो गया था  आपने सर से कहा था कि “ राहुल को कहिएगा वो हिम्मत  हारे उसे बहुत आगे तक जाना है ।वो अच्छा लिखता है ” पापा मैंने उसी दिन मन बना लिया था सरकारी अफसर बनने के बाद किताब लिखूंगा और सच कहू उसकी शुरुआत मैंने कर दी है कुछ कहानी लिखे और लिखने मे रूची बढ गयी हैं।
 आपको तो पता ही होगा मैं तो बस अपनी तरफ़ से आपको बता रहा था  कभी जा कर देखिएगामाँ जो 
कभी कुछ पढ़ती नहीं थी वो  3 कहानी पढ कर खुश थी ये कहानी
जो मैंने उन लड़किओ पर लिखी है जो समाज द्वारा नकारी जा चुकी हैउसे पढ़ कर तो माँ ने कहा बेटा 
इतना सब सोचा कहाँ से और सोचा तो महसूस कैसे कर लिया  माँ का ऐसा सवाल करना मुझे ख़ुशी मुझे अन्दर से खुश कर देता है कि माँ मेरे किए से मेरे लिखे से हैरान हैउसे ख़ुशी हुई है ये जान कर कि उसका ज़िद्दी बेटा थोड़ा समझदार भी है  (सच तो ये है माँ कि कोई खूबसुरत दिल दोस्त थी जो हमे समझदार बना के हमेशा के लिए दूर चली गई - मईया तू ये सब कहानी सुनती तो रोने लगती तुमसे मेरा रति भर दुख देखा नही जाता न फिर तो ये दो दिलो की दर्द था इसलिए नही बताया तुम्हे।) बस दुःख इतना है कि आपलोग से 2200km दूर हू!आपलोग साथ  रहते तो मैं भी अन्दर ही अन्दर कितना खुश होता सामने से तो आपने कभी कुछ कहा नहीं मगर जनता हूँ आप माँ से कहते सब  हो सके तो अब भी  कर कहियेगा उन्हेंबताइयेगा कि आपको कितनी ख़ुशी मिली है ये पत्र पढके।ठीक है पापा अब जा रहा हूँ थोडा का हैफोन करते रहेंगे  हमेशा कम से कम तसल्ली रहती है ये सोच कर कि आप यही आस पास ही हैं  बहुत याद
 आते हैं आपऔर हमेशा आते रहेंगे  कबसे आपको चिठ्ठी लिखना चा रहा था मगर अब वक़्त नहीं 
मिलता। आपका  बेटा जो बैकर है  न!  मगर आज रहा नहीं गया तो लिख दी।
 आप सीधा साधा खुले सोच वाले इंसान हो मुझे पता है खुशी से सबको पढ़ा देंगे
 क्या पता किसके पास जा कर आप मेरी बात कह दोवैसे आप किसी से भी कह सकते हो सब दोस्त ही हैं वो मुझे बता देंगे। हा बाबु को थोडा खेल कूद मौज मस्ति मे छूट दीजिये अभी उमर है उसका। उसका रूची बिजनेस मे हैं और वह मेहन्त भी कर रहा लेकिन उसे ज्यादा टेनसन लेने की जरूरत नही हमलोग हर कदम पर साथ है। ठीक है पापा अपना ख्याल रखिएगा  
और हाँ परमपूज्य दादीजी पर विशेष ध़यान दीजिएगा!
आज एक नए सफ़र के लिए निकल रहा हूँ हो सके तो साथ चलिए!

 चरणस्पर्श 🙏🙏🙏
☺☺☺
आपका अलग सा बेटा 
राहुल


Comments