हा दुःख होता सुनके


वाक्या1  
कुछ भरस्ट लोग जो govt जोब मे है पहले से उनका बात छोड़ ही दो govt offices को कबाड़ा कर ही दिया पर नया जो मेरे साथ पढ़के जॉब में  गये है उन लोग भी कुछ भरस्टाचार में लिप्त है और दुनियादारी का हवाला देकर हमे भी गुर सिखाते है लोभी झूठ और कामचोरी का या
 फिर कुछ साथी जो बैंक में काम कर रहा उ भी बोलता कि इतना खटते है तो ये रिस्वत जायज ऊपर वाले कहा दूध के धुले है.या अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता सब मिले है ये सब सुनकर बड़ा दुख होता है। अब तो ये भी देखने को मिल रहा कि कुछ जो अभी जॉब की तैयारी ही कर रहा वो भी घुस लेने की बात कर रहा। ये सब मुझे झकझोर दिया है। होगा क्या पढ़ लिखे ऐसे सोच से आएंगे।

वाक्या 2

दरअसल कई लोगो से सुन चुका हूं कि फलनवा के बेटा बैंक में है लाखो का साइड इनकम है तबे तो बिल्डिंग पर बिल्डिंग बनवात है .....
इसको दिखता नही की बाबूजी दिन रात मेहनत करते मगर तू तो अंधे हो अक्ल और आंख से चलो ये तो ग्वार लोग बोल दिया मगर कुछ वैसे पढ़े लिखे लोग भी समर्थन करते है ऐसे लोगो तो बुरा लगता है - कोन तुमको समझने जाए कि पाचो उंगीली बराबर नही होते तेरे घर के सदस्य भी एक जैसे नही है तो फिर तू दूसरे को कैसे भरस्ट के तराजू पर तोल देते हो।


आज तुम जैसे लोगों पर लेख लिखा हु।

#भारत" एक सुंदर देश जो अजीब किस्म के लोगों से घिरा हुआ है । यहाँ हर इंसान अपनी अपनी सोच की वजह से उलझा हुआ है । अपने घर का चुल्हा कैसे जले इसकी फिक्र कम है मगर आज पड़ोसी के यहाँ से मुर्गा पकने की महक क्यों आ रही है क्या वो बहुत खुश है पर क्यों खुश है ? इसकी फिक्र ज़्यादा है । अपना दुख भले बढ़ जाए सामने वाले कि खुशी नही बढ़नी चाहिए । आप किसी गाँव में चले जाईए वहाँ बैठक में लगभग एक ही चर्चा सुनने को मिले "फलनवां के बेटवा मोटरसाईकिल खरीदा है" फिर जवाब मिलता है "हं हं खररिदबे करेगा । खेत बेचा होगा ।" अरे साला तुमको का मतलब है कोनो घर बेचे दुआर बेचे साईकिल मोटर कुछो खरीदे । तुमको पता है तुम्हारा लौंडा जो कल फीस के नाम पर दो हज़ार ऐंठ गया उसका बैठ के दारू पिया है । बताओ अपने घर का हाल नही जानते और चले हो दूसरे के घर का बहि खाता खोलने । 
भारत के पिछड़े होने का सबसे बड़ा कारण जानते हैं क्या है ? यहाँ लोगों को सामने वाले के कर्म से मतलब नही बल्की उसके खोखले दिखावे और बनावटी आचरण से मतलब है इसलिए दुसरो धन देखकर लोभी हो जाते है और उसी के बराबरी करने के चक्कर मे अपने जमीर बेच देते और भरस्ट बन जाते है
  कोई पुरूष किसी महिला के साथ हंसता मुस्कुराता दिख जाए बस लोग झट से दोनो को चरित्रहीनता का तमगा दे देते हैं । असल में ये जलन है ये सोच कर कि उसके साथ हंस के बात करती है मेरे साथ क्यों नही । अरे भाई तुमको किसी से लेना देना क्या है । तुम उसके काम देखो ना उसकी आदतों पर क्यों जा रहे हो तुम्हे उसे घर में तो रखना नही है । विदेश के राष्ट्रपति लोग सामने से अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा छोटी लड़कियों के साथ सबके सामने घूम रहे हैं चूम रहे हैं जनता को घन्टा फर्क नही पड़ता मगर तुम्हारी नींद बस इसलिए उड़ जाती है कि दिगविजय ने बुढ़ापे में शादी की तो कैसे कि उसके पास अभी भी शक्ति है तो किआ। यहाँ सब तो इसके जैसे है भी नही
यहाँ अगर हर कोई दूसरों कि बजाए बस खुद को देखे तो शायद खुद के साथ देश में भी सुधार आ जाए । देश के आधा से ज़्यादा मसले बस इसी वजह से उलझे हैं कि लोगों का ध्यान सही जगह ना हो कर वहाँ है जहाँ उनकी ज़रूरत ही नही । चलिए हमको क्या लेना हम तो भई बुरे हैं जो अपने मेहनत 
 सोच कर कि खुश होते है।
मेहनत में बिस्वास रखते है दूसरे क्या करके पैसा कमा रहे उस पर ध्यान नही देता बस। govt  job पाने उद्देश्य बस service यानी समाज सेवा है। आप हमें गुर ना सिखाएं तो आपके लिए बेहतर होगा सब रिकॉर्ड हो रहा कही बस समय का इंतजार है।

जलन की भावना नहीं रहेगा आगर ये समझ जाओ तो..
 हर इन्सान अपनी किस्मत अपने दिमाग अपनी मेहनत या अपनी मक्कारी का कमाया खाता है । ये सत्य है  मेहनत ईमानदारी का रास्ता चुना तो आप गरीब/मध्यम थोडा और उपर रह गए, उन्होंने दिमाग और मक्कारी से काम चलाया तो अमीर हो गए ।
एक बात बता दु
 वैसे असल में यहाँ कोई अमीर है ही नहीं । अमीर वो होता है जो संतुष्ट हो मगर यहाँ तो जिसके पास जितना पैसा वो उतना असंतुष्ट है ।

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