#संघर्ष_अभी बाकी है-inspirational story

 
ज़िन्दगी के लिए एक बेहतरीन सोच-
हर एक की सुनो और हर एक से सीखो क्योंकि हर कोई सब कुछ नहीं जानता लेकिन हर एक कुछ कुछ जरूर जानता है.

    

#संघर्ष_अभी बाकी  है-ज़िन्दगी

एक शांत समुन्द्र में नाविक कभी भी कुशल नहीं बन पाता” – “A smooth sea never made a skillful mariner”.


#तेजस_एक पंद्रह वर्षीय किशोर, शरारती , हँसमुख , किशोरावस्था में कदम रक्खा ही था कि पिता की आकस्मिक मृत्यु ने उसे असहाय बना दिया । इस सदमे से विछिप्त माँ और घर के आँगन में खेलती नौ साल की नेहा  की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उसे अंदर ही अंदर तार _तार कर रही थी , 
अभी तेजस, पिता की मौत के सदमे से उबर ही न पाया था कि उसके जीवन में एक और बज्रपात हुआ , माँ की आँखों की रौशनी एकाएक चली गयी , ब्रेन हैम्ब्रेज........याददाश्त चली गयी, माँ तेजस की आवाज भी न पहचान पा रही थी , महीनो अस्पताल के चक्कर , दवाई , याददाश्त तो वापस आ गयी पर माँ की आँखों की रौशनी तेजस न ला सका ,
 मजबूर हालातो से गाँव की जमीन का टुकड़ा भी तेजस ने बेच दिया माँ के इलाज के लिए पर रौशनी न आई , उस समय तेजस स्वयं को बहुत हताश मेहसूस कर गया जब बहुत नजदीकी रिश्तेदार उसे अकेला कर गए ।
नौ वर्ष की मुस्कान और पंद्रह वर्ष का तेजस एकदम अकेले , माँ ही उनकी प्राथमिकता , छोटी सी माँ की पेंशन माँ के इलाज को लगभग नकार चुकी थी ।
हाइस्कू........., इंटर........बीकॉम........अब बीस वर्ष का हो चुका तेजस ने एक छोटी सी कंपनी में एक छोटा सा काम सम्हालने में कोई गुरेज न किया , समय तेजस को बहुत कुछ सिखा चूका था , वो आर्थिक मजबूती के लिए प्रयत्नशील था , वो पहला कदम तेजस का जब उसने उगते हुए सूरज के तेज को गौर से देखने की कोशिश की बिना पलके छपकाये । 
फिर वो बढ़ता चला गया अपनी राह पकड़ के । एक...... दो......फिर वो कई कंपनियो के एकाउंट्स अपने लैपटॉप पर मिन्टो में बनाने लगा , CA तो न बन पाया पर CA के कार्यो की जड़ तक पहुँच ही गया , कुछ ही वर्षो में उसकी गिनती शहर के प्रतिष्ठित लोगो के बीच होने लगी , अपने काम में माहिर तेजस को नामी कंपनिया बुलाती ।
ये पल पल कमाई प्रतिष्ठा ने तेजस को जड़ से जोड़े रक्खा , अब वह 27 वर्ष का हो चूका था ,अभी भी माँ ही उसकी प्राथमिकता थी । माँ को दैनिक कार्य कराने से लेकर घर के छोटे बड़े काम तेजस स्वयं करता । चुकी नेहा अब  21वर्ष की हो चुकी थी , नेहा  का गढ़बंधन एक सरकारी बैंक में कार्यरत युवक से कराकर उसके हिस्से की खुशिया उसकी झोली में डालने का सौभाग्य ईश्वर ने तेजस् को दिया ,नेहा  के पल्लू में वो खुशिया बाधकर तेजस बहुत प्रसन्न था ।
अब नेहा  न थी घर मे , तेजस और उसकी माँ एक छत के नीचे....... जिंदगी के थपेड़ो ने कभी तेजस को भीनी कल्पनाओ की स्वीकृति कभी करने ही न दी , अब वो समय था जब तेजस अपने लिए सजीले सपने बुन सकता था ।
कमाऊ लड़का...... ढेरो रिश्ते..... पर तेजस को अपने से मात्र 4 वर्ष छोटी ,दुबली पतली , गोर रंग की लंबे बालो वाली , गंगा किनारे की शालिनी ही पसंद आयी ।
शालिनी और तेजस के घर घर के फासले चार सौ  किलोमीटर दूर थे , पर उनके दिल मिल चुके थे , पहल हो चुकी थी , फ़ोन पर लैंडलाइन का रिसीवर लेकर वो जाड़े की सर्द रातो में रात भर एक दूसरे की सांसो की आवाजो को सुनने की कोशिश करते , सारी रात तेजस बहुत कम बोलता ,शालिनी उससे भी कम बोलती , कुछ बैचलर रूटीन शेयर होते , और खामोशिया बहुत कुछ कह जाती , ये सब शालिनी के पिता की मौजूदगी में चोरी से होता तब उन्हें ये सब किसी हिंदी फ़िल्म की लव स्टोरी सा लगता । तेजस और शालिनी का लगभग छः महीने चला ये प्रेम प्रसंग आखिर मुकाम पा ही गया ।
विवाह की तारीख एक जनवरी .......दो जनवरी को तेजस का जन्म दिन और शालिनी की बिदाई का समय , वो गिफ्ट के रूप में शालिनी को अपने साथ ले जा रहा था , मन कई अठखेलिया शादी की रस्मो में स्वतः दिखाई पड़ रही थी ।
शालिनी का गृह प्रवेश और सुखी , मजबूत विशवास की नीव को डालने के बाद तेजस पुरे मन से शालिनी को समर्पित हो गया ।
अभी भी माँ ही उसकी प्राथमिकता थी जिस भरोसे वह शालिनी को ले कर आया था वो भरोसा शालिनी ने बखूबी निभाया । प्रतिभावान शालिनी ने माँ की जिम्मेदारियो को मन से प्राथमिकता दी , तेजस इससे वाकिफ था , वो स्वयं को और तलाशने लगा और शालिनी उसका सम्बल बनी , जहा तेजस ने शालिनी को अपने प्यार से विशेष बनाया वही शालिनी ने अपने विवेक से तेजस के हर कोने को सजाया ।
आज तेजस जिस मुकाम पर है , दुनिया उसे सर्वोच्च शिखर भले ही न कह पाये पर शालिनी और तेजस की निगाह में वो बहुत अहम् है ।

स्वाभिमान और संस्कारो से लबरेज उनकी कहानी कोई फ़िल्म की कहानी लगती है ।
ये कहानी भले ही सबको बहुत साधारण लगे पर  ये तेजस और शालिनी की सच्ची कहानी है ।
ये कहानी यही खत्म नही होती ,आज उनकी ज़िन्दगी में दो खूबसूरत फूलो ने (जुड़वाँ परी का जन्म )अपनी जगह बनायीं है , और अब शालिनी की प्राथमिकता में वो भी शामिल है। आज  इतने  वर्षो  के बाद भी उनके प्यार की  आभा सर चढ़ कर बोलती है ,
आज भी घर में थक कर लौटने पर तेजस किचन में लगे RO से निकालकर एक गिलास पानी स्वयं   पीता है और आने पर किचन में चाय बनती शालिनी को अपना  सरसराता  स्पर्श और मुस्कान देकर उसके दिलो के तारो को झनका देता है , और वो पल पल जीते है  । बच्चों की उपस्थिति उन्हें संयमित रखती है । और वो हर पल जी लेते है  ।
शालिनी और तेजस के  बहुत से किस्से अधुरे है , कुछ सपनो की रिहाइश अभी बाकी है , कुछ भविष्य के काल में  सुरक्षित है  , अब माँ साथ नही है , उनका  आशीर्वाद शालिनी  और तेजस  के साथ है , वो  उन्हें  कभी हारने नहीं देता ।

तेजस और शालिनी की ये कहानी हमे सच्चाई का  आइना दिखती है कि हमें किसी विशेष पल का इंतज़ार नही करना चाहिए बल्कि अपने हर पल  को विशेष बनाना चाहिए  , वही  तेजस का किरदार  कोशिशो की एक अलग सरगोशियां  लिखता है ।
 राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है,
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है।

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आभार हु मैं अपने बैंकर मित्र का जिन्होंने अपनी wife and brother-in-law की story शेयर किए क्युकी ये सिर्फ इनकी कहानी नहीं बल्कि हम सबको यह अहसास दिलाता है की  जीवन में बहुत कुछ करना है और संघर्ष अभी बाकि है ---



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कोशिश करने वाले छोड़ जाते है जितना ।
इंतज़ार करने वाले पाते है बस उतना ।।

                                                        

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