कविता-देखो - RP
करके देखो - LET'S DO
कविता - "देखो "
नकाब ; चेहरे से हटाकर देखो
उजड़ी बस्ती को बसाकर देखो।
कविता - "देखो "
नकाब ; चेहरे से हटाकर देखो
उजड़ी बस्ती को बसाकर देखो।
कीमत पैसों की समझ जाओगे
मेहनत से ; खुद कमाकर देखो।
हर जर्रे - जर्रे में ; राम बसते है
हृदय सबरी सा ; सजाकर देखो।।
बेरहम होकर; गुलाब तोड़ते हो
कभी पौधों को लगाकर देखो ।
प्रेम जुदाई की बाते करते फिरते है
ये है क्या, कभी माँ को गले लगाकर देखो।
आजाद देश में बेफिक्र घूमते हो
फर्ज-ए -मिट्टी भी निभाकर देखो।
****राहुल प्रसाद(RP) - आधा सा लेखक ***
ख़ुशी की बात यह है कि यह कविता sbi magazine / राजस्थान पत्रिका /अमरउजाला में प्रकाशित हुआ।
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/rahul-prasad-accha-lgta-hai-hme
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/rahul-prasad-meri-kya-khta-hai
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/rahul-prasad-lets-do
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My blog topkahani.blogspot .in
My Facebook page - @topkahani
My website - http://rhappylife.weebly.com/
My youtube channel - RHAPPY LIFE TIPS
https://www.youtube.com/watch?v=v_h8CIF_f_c
मेहनत से ; खुद कमाकर देखो।
हर जर्रे - जर्रे में ; राम बसते है
हृदय सबरी सा ; सजाकर देखो।।
बेरहम होकर; गुलाब तोड़ते हो
कभी पौधों को लगाकर देखो ।
प्रेम जुदाई की बाते करते फिरते है
ये है क्या, कभी माँ को गले लगाकर देखो।
आजाद देश में बेफिक्र घूमते हो
फर्ज-ए -मिट्टी भी निभाकर देखो।
****राहुल प्रसाद(RP) - आधा सा लेखक ***
ख़ुशी की बात यह है कि यह कविता sbi magazine / राजस्थान पत्रिका /अमरउजाला में प्रकाशित हुआ।
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