कब बदरा बरसने लगे किसको मालुम ? short story by RP
बरसात के मौसम में कब बदरा बरसने लगे किसको मालुम ?
जब जब ऑफिस जाने के समय बरसात तेज होती है तो मुझे 12वीं
कक्षा के मेरे फिजिक्स के टीचर श्री दिलीप पाण्डे सर याद आने लगते
हैं...डालटनगंज के श्री पांडे सर की उस एक बात ने बारिश, तूफ़ान से भय खत्म कर
दिया था..
किस्सा कुछ यूँ है कि
एक
बार तेज बारिश होने के कारण हम लोग कोचिंग देर से पहुंचे..कोचिंग पहुंचकर
देखा कि पांडे सर भीगी हुई अवस्था में थे और क्लास में केवल 6 छात्र आये थे
और वो पानी से तरबतर भीगने के बावजूद उसी ऊर्जा से उन 6 छात्रों को पढ़ा
रहे थे जैसा रोज पढ़ाते थे...
तो हम पूछ लिए की सर आज आप भींगे हुए है तो छूटी क्यों नहीं कर देते वैसे भी आज 60 की जगह हमलोग 6 ही छात्र आये है।
उस दिन उन्होंने हमसे
कहा था कि बेटे
- दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहाँ रोज बारिश होती है, कई देश
हैं जहाँ रोज ठण्ड पड़ती है, कई देश है जहाँ भीषण गर्मी पढ़ती है तो क्या
वहां के लोग पढ़ना, काम करना छोड़ देते हैं...
और पांडे सर का जज्बा ये ही कहानी कहता रहा..चाहे आंधी हो, तूफान हो, बारिश हो वो सदैव समय पर पहुँचते थे..
आज भी जब तेज बारिश में कभी कदम रुकने लगते हैं तो उनकी ये बातें याद आती हैं और कदम चलते चले जाते हैं....राहुल
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