एक तरफ़ा प्यार - एक कहानी दोस्तों के अनुभव से मजाकिया अंंदाज में

एक तरफ़ा प्यार -  एक  कहानी दोस्तों के अनुभव से  मजाकिया अंंदाज में

एक तरफ़ा प्यार  दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास माना जाता है , ये मेरा मानना नही है, लेकिन उन आशिक़ों को क्या कहें जो खुद को एक तरफ़ा आशिक़ माने फिरते है, जिन्हें कभी अपना प्यार नही मिला, उन्हें किसी से भी किसी भी तरह के favour की अपेक्षा नही, उनके हिसाब से एहसास भी उनकेे,जज्बात भी उनके, रूठना भी अपने आप से, मनाना भी अपने आप से, वफ़ा भी अपने आप से बेवफाई भी अपने आप से, 
 इसे देखकर हमारे मन में एक बात चल रहा था 
लोग कहते हैं,पागल का कोई भरोसा नहीं,
कोई ये नहीं सोचता कि,
भरोसे ने ही उसे पागल कर दिया है आप सोच रहे होंगे शायद ये आशिक पागल है, अपने एक तरफ़ा प्यार में अँधे, लेकिन ऐसा नही है,
इनके लिए एक सुखद अनुभूति है एक तरफ़ा प्यार एक तरफ़ा प्यार में उम्मीद तो किसी से होती नही है, बस एक दिल बहलाने का कमाल का ज़रिया होता है और वो है फेसबुक की DP ! झट से Save, देखी और hide  कर दी फिर, कमाल है facebook वाले भी, अगर Freind भी हो, DP देखने का सुनहरा अवसर देते है, एक सुखद अनुभूति, उसके साथ होने का एहसास, चाहे झूठा ही सही, पर एहसास तो एहसास ही होता है।

अगर DP ना भी हो तो नज़रें सिर्फ timeline पर, कुछ तो नया Update होगा आज तो, अगर lock हो timeline, माशाल्लाह फिर रब्ब से दुआऐं, बस एक बार unlock कर दे ताकि हम भी दीदार कर सके अपनी मलिका-ये-हुसन के। अगर ये सब तरकीबें काम न करें तो सिर्फ उसे पहली बार physically देखने की स्मृति, जो दिमाग से दिल में उतर चुकी होती है।

उसे देख के जीते है। हिम्मत तो होती नही है इनमें कि freind request भेज दे,
<लेकिन उसकी तारीफ करते फिरते है यहाँ तक की दोस्तों से डिंग हाकते है की आज उसने अपने हाथो से बनाया हुआ खीर खिलाई , वैसे अगले सन्डे को हमलोग पर डेटिंग पर जा रहे है।- मेरे को लगा की बोल दे -
झूठ की नींव पर आलीशान इमारत
कब तक चमकेगी, एक दिन तो ढहेगी।     पर दोस्त था न बोला नहीं
उसके उसको देखकर हमारे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा  था -
मकड़ी भी नहीं फँसती,
अपने बनाए जालों में ....
जितना आदमी उलझा है,
अपने बुने ख़यालों में...>
 बस इतने में ही अपनी सारी दुनिया ये आशिक अपने आप में बसा लेते है.
और हां अगर घर से दुरी कुछ नज़दीक हो तो फिर तो सोने पे सुहागा, रोज़ सुबह की पहली किरण से नैन-मटका, वो भी डरपोकों की तरह, इधर से माँ की गालियाँ सुन रहे है उधर मुँह के सामने किताब और आँखों में सिर्फ उसका दीदार करने की हसरत कि कैसे वो दिख जाये और हमारे नैनों को ठंडक पड़ जाये। इन नैनों की ठंडक देने की एवज में कभी कभी गुड़ का गोबर भी हो जाता है। क्योंकि दो काम तो एक साथ हो नहो सकते, एक समय या तो देख सकते है या फिर अपना काम, लेकिन हिम्मत तो भाई इस मामले में भी नही होती बात करने की, क्योंकि लोग क्या सोचेंगे, अपने शरीफ होने का टैग और पिता जी की इज़्ज़त की मान मर्यादा इन सब का ध्यान तो रखना पड़ता है।

लेकिन हाँ कभी वो बालकनी से दिखे तो क्रिकेट खेलते हुए जानबूझ कर उसकी बालकनी की ओर जोरदार छक्के मारना ताकि हम भी उसकी नज़रों में सचिन तेंदुलकर बन सके, वो खुद बात करने आये हमसे, लेकिन ये तरकीब भी काम नही आती आजकल। कभी कभी तो मुझे इन आशिक़ों में कोई केमिकल लोचा लगता है, कोई क्यूँ इतना प्यार कर सकता है, जब उसके आने की उम्मीद ही न हो, इंसान तो जहाँ प्यार दिखे वहीँ और भागता है।

लेकिन इन्हें पता नही कौन सा अमृत रस मिलता है इतना प्यार करने में, पता नही अपने आप को ही loyality  दिखाते रहते है और ट्रस्ट भी। मिलना कुछ नही है फिर सब नौटंकी क्यूँ, 


फिर एक दिन मैं भी मिला उस आशिक़ से और यूँ ही पूछ लिया क्या बला है ये एक तरफ़ा आशिक़ी और जवाब मिलता है "तुम क्या जानो एक तरफ़ा प्यार, प्यार में पाना ही थोड़े ना होता है सब कुछ, कभी कभी खो कर भी आप प्यार को अमर कर देना होता है" ,

"हट ! साला तुम भी कैसी बात करते हो, ऐसे भी कोई प्यार होता है क्या? और में कोई उम्मीद ना हो मिलने की फिर फायदा क्या इस प्यार का ? भाड़ में जाये ऐसा प्यार, हम तो ऐसे ही अच्छे और तुम भी छोड़ो ये पागलपन!"

काश ऐसी भी हवा चले ,

कौन किसका है , पता तो चले मज़ाकिया अंदाज़ में मैंने भी उसे छेड़ा, "तुम नही समझोगे।"
वो ये बोला 
दिल को जो ख़ास थे  वो ख़ास रहे 
ये अलग बात हम उदास रहे
और मुस्कुराता हुआ वो वहां से चला गया पर मेरी समझ से शायद परे ही था सब कुछ। 

नोट-एकतरफा प्यार भी तब तक अच्छा लगता है,जब तक इसे अपने आप तक सीमित रखा गया हो।लेकिन किसी को परेशान करके या मजबूर करना प्यार नही कहलाता।


खैर ये सब तो नौजवानो में चलता रहता है पर सच्चा प्यार कभी भी और कहीं भी हो सकता है| प्यार एक ऐसा एहसास है, जो बिन कहे भी सब कुछ कह जाता है| जब किसी को प्यार होता है| तो वह यह नही सोचता की इसका अंत क्या होगा| और ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि वह इन्सान किसी के प्यार में इतना खो जाता है कि बस प्यार के अलावा उसे कुछ दिखाई नही देता है|” - RP

आप इस विडिओ में देख सकते है लोग प्यार में पड़ते है तो क्या क्या सोचते है। 

वो पास रहे या दूर रहे,

नज़रों में समाए रहते हैं    .इश्क   rp


सिख-

  • प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर. अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है.अगर आप किसी का साथ जिंदगी भर नहीं दे सकते हैं, तो पहले हीं उसके प्रेम प्रस्ताव को न कह दें.प्यार में अपने कदम तभी आगे बढ़ाइए, जब आप दुनिया के सामने इसे स्वीकार कर सकें.

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