बैंकिंग किस्सा/संस्मरण -1 रौनक आ जाएगी साहब अगर एक बिटिया आ जाए तो

रौनक__जाएगी
साहब ...... अगर एक बिटिया हो जाए तो....

संस्मरण☺नवंबर 2015

यह किस्सा देश के बड़े बैंक के काउन्टर का एक छोटा सा किस्सा परन्तु ऐसा  किस्सा है जो एक  पाजिटिविटी  का माध्यम होने के साथ ही दिल को तृप्त कर देने के लिए काफी है| प्रेम में आस और आस में विश्वास एवं आदर से परिवार सँभालते हुए जीवन जीने की सुखद कला से लबरेज है। ये किस्सा यकीनन अँधेरे में एक उम्मीद के दीपक की तरह है|

शाम के 4.45  बज रहे थेबैंक में सन्नाटा था और कैशियर बाबू कैश मिलाने में व्यस्त थे|  पियून  शाम की चाय के इंतजाम में व्यस्त था तो मेनेजर  और डिप्टी मेनेजर  महीना के टारगेट   गैप के चर्चा करने में लगे थे और सभी स्टाफ पेंडिंग वर्क निपटा रहे थे।
बैंक के गेट पर ताला लगा था लेकिन शटर खुला हुआ था|
तभी चैनल गेट पर एक शख्स आये और तेजी से चैनल गेट खटखटाने लगे और आवाज़ देने लगेइनको देखकर 
आपस में सभी स्टाफ भुनभुनाने लगे चूंकि सबको काम निपटा के  घर  जाना होता है।
बैंकिंग टाइम खत्म होने के बाद जब कोई आकर गेट पीटता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने आधी रात को दरवाजा पिट रहा और नींद से जगा दिया हो और नींद हराम कर दी हो|

कुछ देर तक आवाज़ लगाने के बाद भी जब वो शख्स नहीं रुका तब पियून  ने बाहर खड़े शख्स से कहा, ‘ क्या भाईसमय के बाद बैंक क्यों आते होऐसा क्या काम पड़ गया तुम्हें?
बाहर खड़े शख्स विनती करते हुए बोलासाहब पैसे निकालने हैंबहुत ज्यादा जरूरी है कैश लेना है।
पियून ने बोर्ड दिखाते हुए कहा कि भाई लेनदेन का समय खत्म हो चुका है अब कल आना|अंदर से और भी स्टाफ की आवाज आई कल आना भाई....
नही ऐसा न कहो साहब मेरी मदद कर दो ......पियून जाओ भाई अब कोई नही सुनेगा वर्किंग टाइम खत्म..
बेकार में गिड़गिड़ा रहे हो .....कैश का तो काम अब सम्भव ही नही....
मजदूर हाथ जोड़ते हुए केशियर की ऒर इशारा कर रहा था ...
नोटो की बंडल को  पैकिंग कर कैश ड्रावर क्लोज करते हुए अपने काउंटर से ही केशियर ने  अकाउंटेंट से
कहा सर उनके चेहरे देखकर  लगता है कैश का कुछ अर्जेंट काम है वो सुबह भी आये थे।
आप एक बार बात करके देखिए....
तभी अकाउंटेंट भी गेट पर गये और देखा कि बाहर खड़ा शख्स तो वो ही आदमी जो सुबह में  पैसा निकालने
आया था  मगर पासबुक लाना भूल गया था इसलिए पैसा नही मिला था चुकी उसके पास
 एटीम चेकबुक नही था। फिर भी अकाउंटेंट पूछे  कि पैसे निकालने थे तो इतनी देर से क्यों आया और
 एटीएम चेक क्यो नहीं ले लेते? ....कहते हुए अकाउंटेंट ने उसे अंदर बुलाया
तभी वो आदमी कहा मैं मजदूर हु साहब मुझे पढ़ने लिखने नही आता मैं  पासबुक लेने घर गया था तभी देर हो 
गयासाहब बीवी की डिलीवरी होने वाली है और पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत है..पैसे निकालने दो वरना डॉक्टर
परेशान करेंगे...कुछ भी पैसे नही है पास में , पड़ोसी से भी मांगा मना कर दिया..
साल भर की बचत है खाते में बीस हजार  होगा सब दे दीजिए..साहब 
कैशियर ने तुरन्त उसका निकासी फॉर्म  भरते हुए कहा...
सुबह ही ये समस्या क्यों नही बताया था कुछ उपाय करते न !
 हम आपलोगो के सेवा के लिए बैठे है यहा!.....मुस्कुराया
पर स्क्रीन पर मेसेज देखते ही केशियर थोड़ी उदास हो गया खाता तो जन धन का था दस हजार  से ज्यादा निकल ही नही सकता....फिर इस चीज को मजदूर को बताया ...तभी मजदूर के चेहरे पे सिकन आ गया था वो कहने लगा साहब मंहगाई का जमाना है सब दे दो...ये प्राइवेट हॉस्पिटल वाले पैसे के अलावा कुछ बात ही नही करते बच्चे को कुछ हो गया तो
 मुझे मेरे पसीने की कमाई भी किस काम के। बीबी 9 महीने कस्ट की है.....अब कुछ अनहोनी हो गया तो हम खुद के नजर में गिर जाएंगे.....
केशियर धीरे से बोला आपका खाते से तो पूरे  पैसा नही निकल सकता .. पर एक  काम करो आप दस हजार के निकासी फॉर्म में थंब लगाओ और मैनेजर से अनुमति लेकर रख लेता हूं अगले महीने आपके खाते से निकल लेंगे फिलहाल मैं आपको अपने खाते से  देता हूं। ..हा..साहब मेहरबानी होगी....अरे नही ऐसा न कहिए...आप अच्छे इंसान है भला जो अपनी बीबी(नारी) को इतना प्रेम आदर करता हो उसके साथ खुदा सदैव होते है..ये सब उनकी मेहरबानी है ...
..बस.मुस्कुराइए आप अच्छे लगते है.......
फिर बातों बातों में कैशियर ने पूछा कि अभी आपके कितने बच्चे हैं?
तो मजदूर ने कहा, ‘साहब दो लड़के हैंआपका आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा रही तो इस बार बिटिया हो जाएगी..बस घर में एक बेटी  जाए तो समझो लक्ष्मी  जायेगी
कैशियर ने सज्जन से कहा, ‘तुम्हें बेटियां पसंद हैं?’
मजदूर ने कहा, ‘बेटियाँ किसे पसंद नहीं होती साहब..
एक बेटी आने का मतलब घर में देवी माँ साक्षात् प्रकट हो गयीं|
कैशियर ने उसे पैसे दिए और कहा तुम्हें बेटी ही होगी और खुशखबरी सुनाने आना तब हम मिठाई खिलाएंगे|
मजदूर ने हंसते हुए हाथ जोड़कर अभिवादन किया और चला गयावो चला गया लेकिन बैंक में मौजूद हर एक staff के भीतर एक सकारात्मकता एवं इज्जत का भाव छोड़ गयाउसके शब्द और उसकी सोच किसी के भी दिल को तृप्त करने के लिए काफी थेउसकी बात ने सबके दिल को भीतर तक स्पर्श कर लिया|

अखबारटीवीइंटरनेट पर फैलती हुई हज़ारों नकारात्मक बातों के बीच ये बात बहुत सकारात्मक लगीअमूमन हम सब कहते हैं कि अनपढ़ वर्ग के लोग बिटिया पैदा नहीं करना चाहते और इसको लेकर कई कहानियांकिस्से आये
 दिन सुनते और देखते रहते हैं लेकिन इस मजदूर की ये बात कम से कम ये दर्शाती है कि ऐसा नहीं है कि सब कुछ नकारात्मक ही है हमारे देश में.कहीं  कहीं सामाजिक बदलावमानसिक बदलाव भी  रहा है|

बेटी बचाओबेटी पढ़ाओ  राहुल प्रसाद (कैशियर २०१५)

कवी की एक रचना आत्मसात करे-

वो पवित्र गीता की दोहा है
बेटी सुख की संभावना है,
बेटी ईश्वर की आराधना है।
बेटी है तो ये सुन्दर सा जहां है,
बेटी नहीं तो मानव का अस्तित्व कहाँ है?
बेटी होगी तो, घर में पायल की छन-छन होगी,
बेटी होगी तो, घर में ख़ुशी से भरी कण-कण होगी।
बेटी पावन पूजा है,
बेटी के जैसा ना कोई दूजा है।
बेटी प्रयाग की पवित्र संगम है,
बेटी है, तो भरतनाट्यम है।
बेटी सबसे पूजनीय धर्म है,
जो हर वेदना सह ले, बेटी वो मर्म है।
बेटी है तो काजल, मेहँदी, बिंदिया और सिंदूर है,
बेटी नहीं, तो ये सारे श्रृंगार नहीं।

आज बेटी ने अपने हुनर से विश्व भर को मोहा है,
इक दिन गौर से उसे पढ़ना तुम,

 वो पवित्र गीता की दोहा है

***Respect the girl ** ***Save the world** 

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