अधूरी ख़वाहिश-13 RED वेलंटाइन


वैलेंटाइन -RED DAY 


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 हर ख्वाहिश का क़त्ल करोगे,
इश्क़ करोगे ,पागल हो क्या.
एक दोस्त की Dairy से real story 
लिखना  दवा मेरे दर्द की…


फरवरी में तारिख 14 मेरे लिए कभी ख़ाश रहा ही नही ...मेरे उम्र की लड़कियाँ तो वो पता नही डेट सेट सब क्या -क्या करती है...एक सप्ताह पूर्व से ही रोज डे से लेकर चॉकलेट डे,ब्लॉ ब्लॉ ब्लॉ...मुझे इन सब चीजों से नफरत नही किन्तु कोई लगाव भी नही रहा...ये हर साल आता और जाता...यहाँ चूँ तक असर नही पड़ता...
इस बार तुम्हारे साथ होने से पता चला कि तुमको 14 फरवरी का बेहद इंतज़ार है...मुझसे चर्चा करते हुए सब कुछ बताये थे कि क्या-क्या कैसे पसन्द है तुम्हें...अब मैं भी अपने दिल पर कोई लक्ष्मण रेखा तो खींची नही थी कि प्यार की इंट्री नही होने दूँगी...तुम्हारी  बातों के जादू का थोड़ा असर हो गया...मन में प्यार की संगीत बजने लगी...मैं 14 फरवरी का इंतज़ार करने लगी...
अब अपनी कहानी में भी ट्वीस्ट आ गया...तुम भी तो साथ देते मेरा...जब फोन पे बात होती तब कहते थे...तुम्हारी लटर-पटर बातें किसी को भी अपना बना सकती है...तुम हँसती हो तो दिल के तार-तार मुस्कराते है...पर मैं बाँवरी कभी अपने प्रेम का कोई प्रमाण नही माँगती तुमसे... 
ना ही आजकल के प्रेमियों की तरह कोई परीक्षा ली तुम्हारी...तुमको मुझसे कितना प्रेम है...कभी भूल के भी न पूछी थी...ना ही तुमने बताया था...जरूरत भी नही महसूस हुआ था...
प्रेम है; है तो परीक्षा कैसी
गर है; है तो समीक्षा कैसी...

14 फरवरी आ ही गया...उस सुबह फोन की और बोल दी तुम्हे,आज शाम को 2 घण्टे टाइम चाहिए...तुम घर ही आ जाना...पहली बार किसी को घर बुला रही मतलब लड़कों में...थोड़ा ढ़ंग से आना...
बाबा(वर्ष पहले माँ पिता जी का एक्सीडेंट में डेथ हो गया था अब जो भी है  बाबा ही सबकुछ - मेरी दुनिया में) बाबा के आगे फटाफट नही बोलना..वो शिक्षक थे बहुत सवाल दागते है 
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चलो कोई गीत सुनाओ मेरे लिए तुम बोले थे.न!..मैं थोड़ा नजाकत से बोली...उसे !

वो बोला अरे...अभी ...इस वक्त...हाँ और नही तो क्या अभी नही तो कभी नही गाना तुम...मुझे नही सुनना अब कोई गीत- प्रीत...अरे! रूठो नही...लो सुना देता  हूँ...तुम लडकियाँ भी न ...बड़ी टेढ़ी राह चलती हो...सीधे तरीके से कोई बात समझ ही नही सकती...

मैं थोड़ी हैरान सी हुई...लड़कियाँ...मतलब कितने लड़कियों के बारे में जानते हो तुम...मन से आवाज आयी...ओह्ह...स्मिते! सम्भाल खुद को...अगर इस तरह की बात करोगी तो उसे बुरा लगेगा...

 चल नाटक न कर अब...उसने  बिन देर किये वो गीत सुना डाला ...इश्क सूफियाना तेरा...इश्क सूफियाना...चलो बाकी गीत शाम को अब यह कहते हुए फोन रख दी.मैंने ..

छत की बालकनी में यही कोई दस विंड चेन्स बाँध दी...मेज भी लगा दी...सब कुछ रेड-रेड ..सारा डेकोरेशन रेड से...मेजपोश रेड...सारे डोरबेल रेड...सोफे का कवर रेड....मेरा ड्रेस रेड...अब तुम्हारे पसन्द से सब कुछ हुआ था...
हद तो तब हुई जब बाबा बोल दिए आज कुछ है क्या...तुम्हारे कप क्यों सफेद है...अब इसे भी रेड रखो...मैं बोली आज रेड डे है बाबा...आप रेड धोती पहन लीजिये... फिर हम और बाबा हँस दिए...
शाम की मधुर बेला आ गयी...रोम-रोम पुलकित हुआ जा रहा था...दिल की घण्टियों के साथ बालकनी की घण्टियाँ भी मधुरिम ध्वनि निकालने लगी...
बेबाक, बेपरवाह निडर हो के देखना है
आज हद से आगे गुजर के देखना है।
जमाने भर की निगाह फलक के चाँद पे है
मुझे सितारों को जी भर के देखना है।
सुना है उनकी बाँहों में बड़ी मोहब्बत है
आज उनकी बाँहों में मर के देखना है।


ख़्यालों में एक ग़ज़ल भी रच डाली...कुछ इस कदर...

नजर से नजर ; वो चुराने लगे हैं
ये मौसम भी हमको ; सताने लगे हैं।

असर हो गया उनकी सोहबत का ऐसा
प्रणय गीत हम ; गुनगुनाने लगे हैं।

सिर्फ ख्यालों से कितना देर काम चलाती भला...मन घबराने लगा...तुम आ क्यों नही रहे..फोन भी स्विच ऑफ था तेरा। ..... शाम के 8 बज गए। ... तुम नहीं आये
.इधर बाबा बोल रहे अरे स्मित! ये रेड डे कितने बजे शुरू करोगी...ये सब नये जमाने में न जाने कितने डे बन गये...खैर अब शुरू करो...मैं भी सोच ली बाबा से सुन्दर और कौन वैलेंटाइन होगा आज...चलिये बाबा केक काटिये...मैं बाबा को और बाबा मुझे खिलाये...आँखों में प्यार के आँसू मोती छलक गये...स्मिते इन आसुँओं को बचा के रख ले अभी...अभी खर्च कर दोगी तो विदाई के वक्त कहा  से लाओगी...क्या बाबा आप भी न...और इसी तरह रात हो आयी...तुम एक मैसेज  दे दिए थे मेरा ध्यान नही गया था...

आज मैं नही आ पाउँगा ...वैलेंटाइन का ध्यान ही नही था यार ...आज उसके साथ घूमने जा रहा...तुम दोस्त हो तो समझ सकती हो न...वो नही न समझेगी...

 हाँ सही बात...  मैं समझ गयी!

जहर को चख के , परखने के जिद!!!
शायद 
मोहबत इसी को कहते है.....


गैर किसको कहें किसे अपना
आज तक मै समझ नहीं पायी !!
बस मेरे जेहन में एक ही बात चल रही थी। ..... 
प्यार गर है तो फिर बताना क्या
है अगर सच्चा तो जताना क्या।
जो रूठा ही नहीं कभी मुझसे
मन के उस मीत को मनाना क्या।
पलकों में जिसने उम्र काटी हो
आंसुओं में उसे बहाना क्या।

देखकर के जो फेर ले चेहरा
ज़ख्म दिल के उसे दिखाना क्या

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एक पल लगा की खुद को खत्म कर दू पंरतु बाबा को कौन देखभाल करता ..
 मैं आज समझ गयी...तुम मेरे वैलेंटाइन नही हो सकते...इस तरह ख़्वाहिश अधूरी रह गयी... और ख़्वाहिशें अधूरी ही बेहतरीन होती है...जो एक कहानी बन गयी। 

अगर आप किसी से आसा रखते है तो ये आपकी प्रॉब्लम है उसका नहीं.....
उस लडके ने सैकड़ो वादे किए थे हमसे ...मेरी मुस्कान के अलावा उसे कुछ नही चाहिए था जिन्दगी में
उसके लिए मै सबसे खुबसूरत बला थी वो मेरे लिए जान भी दे देता ऐसा अपनी माँ कसम खा कर खुद से बोला था उसने .....
भागवान का शुक्र है की उसके प्यार में बहक कर अपने को कभी सौपी नही थी अन्यथा एक झूठ का दाग जीवन भर दर्द देता ...
आज मैंने दिल को थोड़ा साफ़ किया,
कुछ को भूला दिया, कुछ को माफ़ किया

फिर खुद से ज्यादा किसी दुसरे पे बिश्वास करना बंद कर दिया...आज बाबा जीवित होते तो उनपर करती
खुद को इंतना मजबूत बनाई की आज बैंक के छत तले लोगो को सेवा करती हु....

एक मजबूत इरादे वाली दोस्त की कहानी—राहुल
कोई बेसबब, कोई बेताब, कोई चुप, कोई हैरान,
ऐ जिंदगी, तेरी महफ़िल के तमाशे ख़त्म नहीं होते"..!!!

सिख – अगर आप लडकी है तो इस कहानी से सबक ले की एक टुअर-टापर लडकी के साथ भी लोग इस तरह के छल कपट वाली प्रेम के झासे  हजारो जूठे वादे फेककर फसाया गया अर्थात जो कमजोर रहेगी उसके साथ और भी ज्यादा धोखे मिलेंगे... मै ये नही कहता सब झूठे होते है परन्तु आजकल के प्यार हवस वाला ही होता है एक तरफ लोग मीठी मीठी बाते करते है दूसरी तरफ पोर्न साइट्स के समांतर आपको बिस्तर बनाने की सोच रखते  है इसलिए दुसरे पर निर्भर क्यों रहना खुद को मजबूत बनाइए खुद ही सेल्फ डिपेंडेंट बनिये ...एक बात साफ है की खुद बेहतर आप दुसरो को कभी नही जान सकते इसलिए बिश्वास खुद पर हमेशा ज्यादा करे..
कबीर ने प्रेम के विलप्रभाव ( वियोग प्रेम) को अपनाकर ईश्वर के निराकार अलौकिक प्रेम को स्मरण कर लिन भाव से अपने असिम प्रेम प्रकट करके प्रेम और ज्ञान के दर्शन से देश, समाज को जाति-पाति , भेद-भाव से मुक्त करने काम किया है....मीरा ने भक्ति में लीन होकर प्रेम को सार्थक की ... प्रेम में हमेशा त्याग की जरूरत पडती है
वही आज आधुनिक अर्थ में प्रेम शब्द की परिभाषा बदल गयी है आज प्रेम के संयोग( संभोग) के चलन से ग्रसित है प्रेम के अलगाव की पीढ़ा को सहनकरने की क्षमता आज के स्वार्थी लोगों मे नही रह गयी हैं और माता पिता को भूलकर आत्महत्या कर कर रहे है ये आज समाज की सबसे गंभीर विमारी बन गयी है का आज तक इसका कोई इलाज और डाँक्टर उपलब्ध नही हो सका है हम आज जिस टैक्नोलाँजी की बात करते है उसमें आज कोई ऐसा यंत्र बन नही सका है जिसे मनुष्य के मनोभावो को मापा जा सकता, आज अगर मनुष्य मशीन के जगह ऐसे यंत्रों का आविष्कार कर सकता तो मुष्य के मनोभावो को मापकर ऐसे भावों से ग्रसित लोगों को आर्थात भावना में बहकर मरने वालो को बचाया जा सकता था.. हम आज इस क्षेत्र में नाकाम है क्योकि हममे मानव प्रेम को समझने की शक्ति नही है तभी तो माता पिता, घर परिवार को भूलकर किसी एक के लिए  आत्महत्या जैसी घटना घट रही है।
आज प्रेम प्रसंग की बजह से होनेवाले हत्या और आत्महत्या भारतीय समाज के लिए बहुत ही शर्मनाक बात है कब तक भारत की महिलाओं खुद को कमजोर समझती रहेगी, भारतीय महिलाओं को  अभी  लगता है वह कमजोर है और उसको किसी की सहारे की जरूरत है ये मानसिकता जब तक समाज में विद्यमान रहेगी तब तक ऐसी घटनाएं घटती रहेगी .. आज भारत में  महिला शसक्तीकरण की बात हो रही है ,महिलाओं में विदेशी खुलापन भी दिख रहा है -- पर दु:खद बात है विदेशी महिलाओं की मानसिकता और दृढ़ इच्छा शक्ति को भारतीय महिला,पुरुष और समाज अपना नहीं सका है -- ये विकसित भारत के लिए बहुत ही चिंता जनक है -- इस गंभीर समस्या के प्रति माता पिता, युवक युवतियों एवं समाज , देश को सोचने की जरूरत है ताकि ऐसे घटना ना  घटे।   भारतीय महिलाओं और पुरुषों को विदेशी कल्चर अपनाना है तो विदेशी महिलाओं एवं पुरुष की मानसिकता को भी अपनाना होगा ताकि हमारा समाज भी विदेश की तर्ज से सम्मानित बन सके।
महिला पुरुष का भेदभाव को खत्मकरना होगा, देश समाज में दोनों बराबर सम्मान होना चाहिए किसी एक में प्रति कोई भेदभाव नहीं होनी चाहिए!



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