My Story छाता और मुस्कान!


छाता और मुस्कान!

13/07/2017  8 pm की कहानीराहुल प्रसाद

मुम्बई का मौसम भी मस्ती करने वाले को ही भाता है न! कल मैंने समुद्री लहरों का लुफ्त उठाया साथ में रिमझिम बारिश में भींगा भी और शाम में सूरत के लिए वापस चल दिया...
कल शाम से शरीर और सर में बहुत दर्द के साथ बुखार भी है और आज सुबह तो बुखार भी आया था पर 12 बजे बुखार उतरा, उठते ही  मोबाइल on किया मेसैज तो देखा की D manager  सर ने 3 बार  call किए थे तो हम समझ गये की आज 2 लोग ब्रांच नही आये होंगे फिर झट से तैयार होकर  मैं ब्रांच गया.मुझे देखते ही सर मुसकाते हुए बोले कल बहुत मजा किए मुंबईमें न! फिर हम भी मुस्काए और बोले नही सर!
branch में देखा की सचमुच में 2 स्टाफ नही आये थे..
4.30 बजे तक तो स्पीड से कम किया फिर बुखार कि वजह थोडा काम किया और सर को बोले भी की बुखार आ रहा  है कल से सर ..उन्होंने ने कहा जाओ checkup करा लो पर  मूसलाधार वारिस की वजह से
आफिस से निकलते हुए लेट भी हो गया  और मगर फिर भी सोचा कि अस्पताल चलकर देखा जाय शायद चेक अप हो जाये और कुछ दवा मिल जाय . रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद था ...
दवा स्टोर खुला हुआ था . मैंने वहां पर अपनी तकलीफ बताई तो उन्होंने डाक्टर की पर्ची की मांग की , जो की मेरे पास नहीं थी .क्योंकि उनका मांग जायज था क्योंकि आजकल कितने लोग पैसा कमाने के लिए कुछ भी  दवा दे जाते है ।

मैं निराश लौटने को ही था तभी मैंने  दवा स्टोर की तरफ नजर  दौड़ाई कहा ये .... दवा दे दो न बहुत तेज बुखार है !
हमको वो जानते होंगे  क्योंकि उसी एरिया में रहता हूं  वहां से कई बार गुजरा है। उन्होंने मुझे बिठाया और माथा छुए
 बोला बहुत तेज बुखार आप भींगे हुए भी हो और कॉप भी रहे हो और मेरे लिए दो दवा की गोलियों की स्ट्रिप और ब्रेड पकड़ा दी..बोला अभी जाओ और इसे खाकर सो जाना सब ठीक हो जायेगा। बारिस में और भींग जाओगे ! ये भी पूछा कहा रहते हो? मैंने बोला...उन्होंने अपना छाता दिया और कहा कल वापस दे जाना...
मेरे चेहरे तो लाल थे बुखार से पर उनके ब्यहार से मेरे चेहरे पर मुस्कान भी थे ! 

मैं छाता खोलते हुए उन्हें कहा आप इतने समय तक क्यों बैठे हैं .हॉस्पिटल से तो कई लोग चले गए....है!

'भाई साहब ! कई लोग देर से आते हैं आफिस में काम की वजह से . ऐसे में मैं सोचता हूँ कि अगर मैं जल्दी चला गया तो उनकी दवा उन्हें नहीं मिलेगी . बस यही सोचकर देर तक बैठ जाता हूँ .'कुछ इनकम भी हो जाती है...

जवाब सुनकर बहुत ख़ुशी हुई ... बहुत दिनों बाद अहसास हुआ की हम जैसे बहुत लोग है.......और रास्ते में आते हुए सोचा काश! इनके जैसे लोगो का ज्यादा से ज्यादा Govt job में सिलेक्शन होता तो कितना अच्छा होता!
अभी मेरा भुखार उतर रहा है पसीने से लतपत हु फिर भी मुझे लगा की इन जैसे लोग जो मायुस चेहरे पर भी मुस्कान लाते है कुछ लिख दू! 


वाकई लगता है कि किसी दूसरे के लिए थोडा सा समय देकर  हम अपने चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं और दूसरे  के भी ....
दोस्तों बहुत ख़ुशी की बात है की ये कहानी 1 महीना बाद ही SBI  की वेबसाइट में प्रकाशित हुई/


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