अधूरी ख्वाइशें 29 - "अंतिम पत्र एक एह्सास" ✍ (RP)

अधूरी ख्वाइशें  -अंतिम पत्र  एक एह्सास ✍  
(पर्सनल-dairy )


 **आखरी खत है पढ़ लेना-डायरी के अंतिम पेज से।
 मई 2017
#बहुत# दिनों से कहानियाँ ही लिख रहा हूँ । खुद को #अकेलेपन्न# से बचाने के लिए कहानियों में ऐसा उलझा कि हक़ीकत को तो दरकिनार ही कर दिया मैने । कहानियाँ मेरे लिए भीड़ जुटाती हैं लोग आते हैं पढ़ते हैं बताते हैं कि वो भी इसी तरह के हादसों को झेल चुके है इससे मुझे हौंसला मिलता है इस बात का कि सिर्फ मैं ही नहीं जो अकेला हूँ ।
खैर ये सब मैं तुम्हें क्यों बता रहा हूँ, तुम्हें तो कुछ और कहने के लिए ये ख़त लिख रहा हूँ । बहुत दिनों बाद ख़त लिखने का ख़याल आया है, सोचा शायद मेरे उलझे मन की सुलझनें तुम्हारे लिए जमा किए शब्दों में ही कहीं छुपी हों । जानती हो तुम्हारा मुझसे मिलना कोई संयोग नहीं था यह अधूरा सा लगने वाला मेल पहले से ही तय था । कई बार घाव की टीस ही बेचैन मन का सुकून बन जाती है । तुम्हारा मेरा मिलना भी वही खूबसूरत घाव बनने की ओर बढ़ रहा है । जो उम्र भर यादों की मीठी टीस देगा और मैं उस टीस को कागज़ पर सजाता रहूंगा ।
#तुम# आई तुम ने बताया कि जो मेरे पास है उसको बर्बाद होने से कैसे बचाऊं, कैसे अपनी गुमनामी का सदोपयोग कर के इसे अपनी पहचान बना लूं  । तुम मेरी सूखी कलम के लिए स्याही बनी, मेरे लफ्ज़ों के लिए काग़ज़ बनी । जानती हो तुम मेरे लिए दुनिया की हर खुशी, मेरी हर जीत, मेरे हर सपने से ज़्यादा कीमती क्यों हो क्योंकि तुम सिर्फ एक प्रेमिका होना ही नहीं जानती बल्कि तुम जानती हो कि मेरे उदास होते ही एक माँ की तरह प्यार जताया जाता है, तुम जानती हो कि मेरे चेहरे पर उभरे खुशी या ग़म के अल्फाज़ों को एक कुशल पाठक बन कर कैसे पढ़ा जाता है, क्योंकि तुमें पता है मेरे रूखे मन पर ओस बन कर नमी कैसे लानी है, क्योंकि तुम्हें सिर्फ प्रेम करना नहीं प्रेम को जीना जानती हो ।
हम बहुत लड़े, बहुत कोशिशें कीं आसमान को धरा की गोद तक खींच लाने की मगर हम भावुक हैं सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपनों के लिए भी, हमें उनकी खुशी ना खुशी से भी फर्क पड़ता है जिन्हें ज़रा सी भी भनक नहीं इस बात की कि हम अंदर ही अंदर किस तरह टूट रहे हैं । और यही वजह रही की अब हम हार की तरफ बढ़ रहे हैं । मगर तुम एक बात याद रखना मोहब्बत कभी नहीं हारती बशर्ते उसमें लड़ने की हिम्मत को हमेशा ज़िंदा रखा जाए । मोहब्बत तो आत्मा की तरह अमर है । जैसे मौत पर किसी का ज़ोर नहीं वैसे ही मोहब्बत पर भी नहीं । इंसान मरते रहेंगे मगर मोहब्बतें तो हमेशा ज़िंदा रहेंगी ।
#हमने चार सालों में इसी मोहब्बत के लिए अपने आप में कितने बदलाव किये । अब मुझे गुस्सा नहीं आता और आ भी जाए तो तुम पहले की तरह गुस्से को गुस्से से नहीं निपटाता। अब तुम मुझे मुझ से ज़्यादा और मैं तुम्हें तुम से ज़्यादा जानता हूँ । हमें पता होता है कि हम एक दूसरे के साथ कैसे पेश आएं जिससे दोनों को खुशी हो । हम दोनों एक दूसरे की खुशी के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानियाँ देना सीख गये हैं । मोहब्बत ने हमें कब बच्चपने की गोद से उठा कर समझदारी की ज़मीन पर चलना सिखा दिया पता ही नहीं चला ।
हम समाज से लड़ सकते हैं रिवाज से लड़ सकते हैं मगर नियती से लड़ना हमारे बस में नहीं क्योंकि हम इंसान हैं मगर प्रेम नियती से भी लड़ सकता है क्योंकि इसे ज़िंदा रहना है । तुम जब जब कविताओं के लिए शब्द जोड़ोगी तुम्हें मैं मिलूंगा और मैं जब जब कहानियों के लिए किरदार ढूंढूंगा मुझे तुम मिलोगी । हम दोनों ने प्रेम को पा लिया है । हमें बेशक़ नहीं मिलने दिया जाएगा मगर प्रेम तो हवा है जब तक सांसें चलेंगी ये महसूस होगा, कभी बारिश की बौछारों में, कभी शीत लहरों में तो कभी गर्म दोपहरी की लहकती हवा में ।
तुम खुद को संभालना मैं सारी ज़िंदगी हमारे प्रेम को संवारे रखूंगा । भले हम भविष्य को इतिहास बन कर याद ना रहें मगर वो नियती जिसने ये खेल रचा है वो तब तब अपनी आँखें नम कर लेगी जब जब उसे हमारा अधूरा होने के बाद भी पूरा हो चुका किस्सा याद आएगा और क्या पता इन्हीं नम आँखों से वो किसी हम जैसे को वो दे दे जो वो हमें ना दे पाई ।
तुम मेरी यादों में अमर हो गयी मैं तुम्हारे ख़यालों का देवता बन गया अब इससे ज़्यादा प्रेम भला हमें क्या देता। अब मुस्कुरा दो यह कह कर कि हाँ हमारा ये प्रेम अमर है 😊
हमेशा तुम्हारा***rp


#तुम# आना कि तुमसे ढेर सारी बातें रह गईं हैं करने को ,
इन्हें साथ लेके नहीं जा सकता।
ज़्यादा देर नहीं ढो सकता।

#तुम्हें# हर कुछ बताता था न,
मुझे चोट लगी.. क्या सपना देखा..
किससे बहस हुई.. क्यों मूड खराब है..
हर चीज़ बतानी रहती थी,
वो भी उसी वक़्त !
बिना बताए जी हल्का न होता था ।

#इन सालों में कितनी चोटें लगीं..
कई बार बीमार पड़ा..
कितनों से झगड़े किए..
कितने सारे बुरे ख़्वाब देखे..
कितनी बार रोया..
कितना कुछ खोया..
सब की लंबी लिस्ट है पड़ी हुई !

पर सोचता हूँ
कभी सामने आओगे तो क्या ये बातें मुझे याद रहेंगी ?
शायद नहीं।
मैं शायद हँस भी न पाऊं..न रो पाऊं !
शायद  मुस्कुरा दूँ..भरी आँखों से।

#क्षणिक ख़्वाब सी मत आना..
आना तो एक सदी लेकर आना..
घड़ी खोल के आना..
दुनियादारी छोड़ के आना,
ज़िम्मेदारी फ़ेक के आना,
परिपक्वता और समझदारी..
सब भूल के आना..।
एक ख़्वाहिश,
आख़िरी एहसान सा.. 
मान लो.. या न मानो।

बस  सामने  बैठा  तुझे 
आख़िरी  बार  देखना  चाहता  हूँ  मैं !
न  जाने  कितनी  लम्बी 
बातों  का  सिलसिला  चाहता  हूँ  मैं ! !
तुम्हारा R

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