अधूरी ख्वाइशे -2 - चार बूंदें इश्क की....

 अधूरी ख्वाइशे - चार बूंदें इश्क की..आखिरी मिलन 

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा
एक झूठ है आधा सच्चा सा
जज़बात के मन पे इक परदा सा
बस एक बहाना अच्छा सा
जीवन का ऐसा साथी है
जो दूर ना होकर भी पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं !..


उस दिन वो आखिरी बार जब मै उनसे मिलने गया था ..

हमेशा के लिए जाने की बात कहते वक्त मैने देखा था उसकी आंखों मे उमड़ते समंदर को .. महसूस हो रहा था लहरों का शोर मुझे उसकी भरभराती आवाज मे .. मन मे भावनाओं और दुख का समंदर ज़ब्त किए हुए भी उसके हाथों मे प्यार की वही तपन थी जो हमेशा होती थी !
मैं .........
मैं उसके पास ही सिर झुकाए बैठा था और वो एकटक मेरे नाकामियों के बोझ तले दबे चेहरे पर भावों की तलाश कर रही थी .. !

वो  ढूंढ रही थी मेरे कमजोर कंधों पर सहारा पाने की एक उम्मीद ..
तभी मै मुस्कुराया
"आप... आप कभी रोते नही .. आप कभी भावुक नही होते ... कैसे .. कैसे इतने निष्ठुर हो आप ?"
उसने एक ही सांस मे कई प्रश्न दे मारे थे मेरे मुंह पर !

 पर हमने  टॉपिक को मोड़ने की कोशिश की और सुनो ये 4 पंक्तिया कभी एक आँखबार से लिखे थे....
ये कैसी मजबूरी है, क्यूँ मिलन हमारी अधूरी है ना तुम चाहते हो, ना हम चाहते हैं… पर बिछड़ना जरूरी है हम तुमसे जुदा होना नहीं चाहते, होकर जुदा रोना नहीं चाहते लेकिन तुमसे तो अब हम दूर जा रहे हैं, इस तन्हा दिल को तड़पा रहे है………………………….ख़ामोशी है, उदासी है…. दिल में एक कसक बाकी है
जुदाई की बेला है, अब तो बस तन्हा दिल अकेला हैदूर तुमसे रहना आसान नहीं, तुम इस बात से अनजान नहीं याद तो तुम्हें हम भी आयेंगे, साथ बिताये पल बहुत सतायेंगे………………………….दूर होने से प्यार बढ़ता है, पर ये दिल-ए-नादान क्यों इतना डरता है
ये दुनिया हमारे प्यार के बीच दीवार है, न जाने क्यों ऐसा प्यार है
लेकिन तुम तो मेरी सहगामिनी हो, जन्मों-जन्मों की अर्धांगिनी हो
तुम कंचन काया हो, जैसे राम ने सीता को पाया हो………………………….
निर्मल गंगा की पावन धारा हो, गुलशन का श्रृंगार हो
तुम हिरणी सी नैनों वाली, प्यार की मूरत साकार हो
परन्तु तुम तो जा रही हो, मिलन के स्वप्न दिखा रही हो
इस निराशा के क्षण में, आशा के फूल खिला रही हो………………………….
जल्दी हीं मिलेंगे हम दोनों, अगले बसंत बहार में
अब तुम हीं बताओ ये कैसी अधूरी प्रेम कहानी है
मिलन है, जुदाई है, साथ जीने-मरने की कसम खाई है
तुम मेरी पहली और आखिरी ख्वाहिश हो, मेरे लिए खुदा की नुमाइश हो…………आंसू से नयन मेरे भी भर चुके थे लेकिन आंसू टपकने नही दे रहे थे क्योंकि वो बहुत भावुक थी और जोरो से रोने लगती.....

उसने अपनी आंसू पोछते हुए बोली...मेरी आखिरी  साँस भी आपके लिए ही है....
खूब पढाई करना जल्दी से जॉब लेना उसने कहके फिर आंसू बहाने लगी शायद उसको डर था शायद हमलोग न मिल पाए--

पर मुझे  अपनेआप पर विश्वास तो था की जॉब लूंगा और तुमसे शादी भी करूंगा पर मेरे में भी एक डर था शायद उसको घर वाले उसके कही दूसरे से शादी न करा दे। !यही सोच ही रहा था की उसने पूछ दी आप  मुझे छोड़ोगे तो नहीं न ! मैं इंतजार करूंगी !!!!!
कभी नहीं , you are perfect for me.
मुझसे रहा ना  गया मैंने बोल ही दिया ये प्रश्न अपने आप से पूछ लो!
उसने मुस्कुराए और बोली की बहुत चाहते है। ....मैं जिंदगी का हर एक पल केवल आपके  साथ बिताना चाहती हूँ.

पर आप  कभी नही समझ सकोगे मुझे .. कभी नही ....... आखिर पूछ ही  लिया । ... 
 हां ! मैं क्यों समझ सकूंगा किसी को .. मैं तो आजतक खुद को ही ना समझ सका ... !
 उसको लगा मैं गुसा हो गया उससे ,,,,मैं अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही मेरे हाथ अपना हाथ में ले ली   मैंने कहा
दुनिया को तुम्हारी हाथ
 की तरह नर्म और सुंदर होना चाहिए.
वो झट से गले लग गई और तभी अचानक लाइट चली गई तभी मेरे होंठों पर उंसने अपने होंठ टिका दिए .. 

अब ... मैं उसके आंसुओं को अपने गालों और होंठों पर बहकर आता महसूस कर रहा था .. वो आंसू जो दर्द मे तपकर पिघले लोहे सा दर्द और जलन दे रहे थे मुझे ..
वो अलग हुई और मुझसे बिना कुछ कहे .. बिना मेरी ओर नजर उठाए भारी कदमों से चली गई !


मैं वहीं निर्जीव सा खड़ा उसे दूर तक जाते देखता रहा .. तबतक .. जबतक वो अंधेरे मे खो नही गई !
मैं अब भी नही रोया था .. हां बिल्कुल भी नही ..

मेरे गालों पर उसके आंसू अबतक टिके हुए थे !

हां ! मैं बिल्कुल नही रोया .. बिल्कुल नही .....

बस मेरी आंखों से खारे पानी की दो बूंदें निकलीं जो मेरे गालों से ढरकती हुई उसके आंसुओं की बूंदों को साथ लेकर मेरी गर्दन से होती हुई मेरे सीने मे समा गईं !


आज भी महसूस करता हूं एक अजीब सी जलन अपने सीने मे .. जब भीतर कहीं हिलोरे मारती हैं वो ...
...

 यह हम ही जानते हैं जुदाई के मोड़ पर,
इस दिल का जो भी हाल तुझे देख कर हुआ।


सच्चे प्यार की शुरुआत तो होती है, लेकिन इसका कोई अंत नहीं होता है...


 अब तो ऐसा है की 
 तुझसे छूकर जो हवा आ रही है तेरे शहर से,
हम तो उसको भी मुलाक़ातों में शुमार कर लेते हैं ........ Miss u ....



राहुल प्रसाद           


कुछ रिस्ते बहुत गहरे होते हैं,भले ही वह व्यक्ती आप के आस-पास न हो,परंतु उसका एहसास बहुत गहरा होता है.  

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