#बैंकिंग_किस्से -2 कैश वाले मेनेजर साहब'


#कैश_वाले _मेनेजर साहब'


ग्रामीण इलाके का किस्सा है..देश के सबसे बड़े बैंक का माधवपुर ब्रांच का किस्सा जिसमें मुझे भी कुछ माह कार्य करने का सुअवसर प्राप्त हुआ था..ये किस्सा मेरे ही साथ घटित हुआ है और आज तक स्मृति में तरोताजा है..

मेरी सबसे पहली पोस्टिंग पोरबंदर के माधवपुर गाँव हुई थी..गाँव भले  ही डेंजर जोन ( चुकी 5 km sea shor है और समुद्री लहरों से कभी कभी पानी गांव में भी आ जाता अभी फ़िलहाल govt काम की है अब गांव में पानी नही आते लेकिन हो रोड पर समुद्री लहरे उफ़ान मारती है)
लेकिन गाँव वाले इतने दिलदार कि आज भी एक एक की याद आती है...

मैं क्योंकि नया नया बैंक में गया था और काम सीख ही रहा था तो कभी कभी लोगों के फ़ार्म भरने के काम, बतियाने के काम( गुजराती समझने)
शुरू शुरू में सबमें भरपूर जोश और असीमित ऊर्जा होती है..ऐसा लगता है सब कुछ सिख जाये और भीड़ न लगने थे सेकंडों में यु ही काम कर दे।
भीड़ वहां इतनी होती थी कि जैसे कोई बरात आई हो..क्योंकी उस समुद्री इलाका में 12गांवो 20km में सिर्फ एक ही ब्रांच था जो लाइफलाइन समझा जाता था वैसे भी बहुत छोटी ब्रांच थी जिसके वजहसे बाहर तक लम्बी कतार लग जाती थी।

अक्सर जेंट्स लोग वहां पर बनियान में खड़े थे यहाँ तक हमारे केशियर सर भी शर्ट निकल कर ही काम कर रहे थे 
क्योंकि समुद्री लहरे बरसात के टाइम बहुत जोर से उफान मारती है खास करके ब्रांच के पास लाइन कटी रहती थी 
ब्रांच एकदम समुद्री किनारा से सटा हुआ हैं और पुरानी बिल्डिंग थी इन्वर्टर वाले रूम में कभी कभी पानी टपकता था तो वो भी काम नही कर रहा था।

वृद्धावस्था पेंशन आई हुई थी..एक अम्मा परेशान सी होकर पैसे लेने लाइन में लगी थीं..उनकी तबीयत थोड़ी खराब थी तो वहां सबस्टाफ ने मुझसे आग्रह किया कि उनका withdrawal जल्दी करा दिया जाये। चुकी वो अगर केशियर के पास जाता तो लाइन वाले चिलाने लगते।

फिर मैंने काम सिखने के बहाने केशियर सर के  मैंने तुरन्त उन्हें पैसे दिला दिए..हमारे सबस्टाफ के कारण मुझे उनकी बहुत थोड़ी सी मदद करने का मौक़ा मिला। चुकी मेरे को उनकी गुजराती समझ नही आती थी।

जाते हुए अम्मा ने मेरा माउस पर हाथ था उस पर पर हाथ रखकर बोली, कुछ हस्ते  हुए बोली .. मुझे कुछ समझ नही आया मुझे लगा की कुछ और काम करने के लिए बोल रही है..फिर सब स्टाफ से बोला की देखो यार फिर कुछ कह रही है सब्स्टाफ बहुत जोर से हँसा और कहा अरे नही साहब वो बोली-
'लल्ला तू बहुत अच्छा है...भगवान जल्दी तुझे cashier बना दे'

मैं थोड़ी देर हंसता रहा लेकिन फिर मेरे मन में एक बात आई..केशियर रितेश सर मेहनत को देखकर 
कई जगह ब्रांच के कैशियर गाँव में बैंक के ब्रांड एम्बेसडर होते हैं..कई बार जब अधिकारी अत्यधिक काम के कारण कई लोगों से ज्यादा बात नहीं कर पाते लेकिन कैशियर बातों बातों में, नोट गिनते गिनते कई बार ग्राहकों से बाते करके उन्हें अपनत्व का बोध कराते हैं। कई जगह वो शाखा के व्यवसाय की नींव होते हैं..इसलिए कई लोग उन्हें ही बैंक के सबसे उच्च पद पर समझते हैं क्योंकि वो ग्राहकों का बड़ा ख्याल रखते हैं..उनकी बातें पेशेवर न होकर अपनेपन से भरपूर होती हैं..मैंने देखा है कई जगह की क्लर्क को लोग ऑफिसर से ज्यादा जानते है। 

उसी शाखा में कई लोग कैशियर को 'कैश वाले मेनेजर साहब' भी कहते थे..
राहुल प्रसाद

माधवपुर 

 की यादें मन में जोश भरने जैसा है क्योंकि वो ऐसा गांव है कि हर चीज की ब्यस्था रेस्टुरेंट हॉस्पिटल पेट्रोल पंप से लेकर ac बस तक क्योंकि वो एक पर्यटक स्थल है वह पर 
ही कृष्ण और रुक्मिणी का विबाह हुआ था  और वहां अपनेआप  एक भव्य  मंदिर बनें थे कहा जाता है वो ऐसा मंदिर बनाया गया था कि समुद्र का पानी रोक लेता था पर कोई मुस्लिम शाशक ने उसे तोड़ डाला था(अभी भी वह मंदिर खंडर जैसे है भारतीय  पुरातत्वा के अधीन है ) जिसके वजह से गांव वर्षो डुबा रहा फिर जब सब ठीक हुआ तो गांव बस गया और एक मंदिर बनाया गया - माधव।
वैसे कुछ चीजे और भी ओशो का 12 km forest garden भी है और माधवपुर ,सोमनाथ से पोरबंदर  बिच में पड़ता है। वहा पर  कच्छुआ  का प्रजनन केंद्र भी है. 

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