कैसे बढ़ाये अपने आत्मविश्वास को

 

कैसे बढ़ाये अपने आत्मविश्वास को-

 How to Improve self confidence in- 

data taken from a motivational speaker

आज हम जानेगे की किसी भी कार्य को करने के लिए अपने आत्म विश्वास को बढ़ाना कितना जरुरी है ये हम सभी जानते है की बिना आत्मविश्वास कोई भी व्यक्ति सफल नही हो सकता । और सफलता का पैमाना अपने आत्मविश्वास से ही होके गुजरता है ।



यदि दलदली जमीन में खूंटा गाड़ा जाये तो वह कुछ समय तक तो खड़ा रहेगा, लेकिन बहुत जल्दी ही झुककर अंत में गिर जायेगा । दलदल में खूंटा गाड़ना तो आसान है, लेकिन उसे खड़ा रखना आसान नही है, जबकि ठीक इसके विपरीत ठोस जमीन में खूंटा गाड़ने के लिए मेहनत तो करनी पड़ेगी । गड्डा खोदना पड़ेगा और तब कहीं जाकर खूंटा गड़ेगा, लेकिन यदि एक बार गड़ गया, तो वह सेंकडो सालो तक उसी तरह खड़ा रहेगा, जैसा की आपने खड़ा किया था । 

आत्मविश्वास एक प्रकार से ठोस जमीन की तरह हैं, जिसमे हम अपने ज्ञान का खूंटा गाड़ते हैं। आत्मविश्वास का अर्थ अपनी आत्मा पर विश्वास करना नही हैं, बल्कि अपने आप पर विश्वास करना है । यहाँ "आत्म" शब्द का अर्थ "में" से है "आत्मा" से नहीं । जब हमारे अंदर आत्मविश्वास की ठोस जमीन तैयार हो जाती हो जाती है, तब हम जो कुछ भी सुनते है, पढ़ते है या कोई भी कार्य करते है उस पर हमारी पकड़ काफी मजबूत होती चली जाती है । इसके ठीक विपरीत यदि हम अंदर से डरे हुए हैं, हम हमेशा भूल जाने की आशंका से ग्रसित हैं, अपने को अंदर से कमजोर महसूस कर रहे हैं, तब इसका अर्थ ये हुआ की हमारे अंदर की जमीन दलदली है।  ऐसे दलदल में खूंटा मजबूती से नही गड़ेगा ।



अपने आप पर विश्वास करना सीखिये की "हाँ में ये कर सकता हूँ", क्योंकि अपने आप पर विश्वास एक प्रकार की शक्ति होती है , ऊर्जा होती है । आपने महसूस किया होगा की जब आप विश्वास से भरे होते हैं, तब आपकी चाल बदल जाती है । आपके पैर अधिक मजबूती से उठते हैं और अधिक मजबूती से जमीन पर पड़ते है । ठीक इसी तरह जब आपमें आत्मविश्वास होता है, तब आपका मस्तिष्क भी पूरी तरह सतर्क और जागरूक हो जाता है । उसके पटल (screen) पर पड़ने वाली चीजो के बिम्ब बहुत गहरे और सपष्ट बनते है । यदि मन में यह भय रहेगा की " मुझे बात समझ में नही आ रही है", तो पक्का जानिए की वह बात समझ में नही आएगी । हो सकता है की आपको बात समझ में नही आ रही है । यदि ऐसा है तो आप खुद को सरेंडर मत कीजिये । परेशान न होइए की बात समझ में नही आ रही है, बल्कि अपने अंदर कुछ इस तरह की भावना लाइए की "मुझे इसे समझना है । मैं जानकर रहूँगा इसे ।" जैसे ही आप यह भावना लाएंगे, पाएंगे की आपका मन एक अलग ही तरह के जोश से भर गया है और जैसे ही यह होगा, आपका लक्ष्य सार्थक होने लगेगा ।



इसलिये हमेशा याद रखिये की जब भी कोई कार्य करे अपने आत्मविश्वास का दीपक जलाकर उस कार्य को करे । आत्मविश्वास की इसी रोशनी में अपने लक्ष्यों को अधिक चमक के साथ जिंदगी के पटल पर सफल हो सकेंगे । 
अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं-तो आप कर सकते हैं !अगर आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं- तो आप नहीं कर सकते हैं !और किसी भी तरह से …आप सही हैं.!



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■ क्रिएटिव ब्लॉक [ Creative Block ] :-

आत्मविश्वास की कमी, बिना कोशिश किए ही हार मान जाना और जलन की भावना, ईर्ष्या, और खुद को हीन समझना मानसिक रुप से कमजोर व्यक्ति के मुख्य लक्षण होते हैं। ये संकेत बताते हैं कि व्यक्ति मानसिक रुप से कमजोर है। और इसी कमजोरी को हम मनोविज्ञान की भाषा मे क्रिएटिव ब्लॉक कहते है !!

आइये जानते है क्या है ये :-

हर व्यक्ति की मानसिक स्थिति एक जैसी नहीं होती। कुछ लोग मानसिक रुप से कमजोर हो सकते हैं जिससे हम दूसरों से खुद को कमजोर मानते हैं। दिमागी रुप से कमजोर ( ब्लॉक ) होने के कारण आपको अन्य लोगों से अधिक बलिदान और संघर्ष करना पड़ सकता है।

ऐसे में हर रचनात्मक इंसान जीवन में कभी ना कभी क्रिएटिव ब्लॉक से गुजरता है। और फिर उसका कमजोर दिमाग अक्सर बहुत सारी भावनाएं और विचार चलता है जो कि दिमाग को क्रियात्मक सोचने से रोकते हैं। जिससे वो कुछ नया नही कर पाते।

ऐसी कंडीसन में तनाव और नकारात्मकता को दूर करने के लिए लोग रचनात्मक तरीकों का सहारा देते हैं। यह रचनात्मक तरीके पेंटिंग, राइटिंग कुछ भी हो सकता है। मगर कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कुछ रचनात्मक करने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन वैसा हो नहीं पाता है जैसा आप सोचते हैं। यह मानसिक रुप से ब्लॉक होने पर होता है जब आप कुछ रचनात्मक नहीं कर पाते हैं। हर क्रिएटिव इंसान इस समस्या से गुजरता है, इस समस्या को क्रिएटिव ब्लॉक कहते हैं।
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◆ लक्षण कुछ इस तरह के होते है इनमे :-

1. कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आते :- अपनी सुविधाओं के दायरे में रहकर हर व्यक्ति काम करना चाहता है। लेकिन जो व्यक्ति क्रिएटिव ब्लॉक से गुजर रहा होता है वह अपने कंफर्ट ज़ोन से कभी भी बाहर आकर काम नहीं करना चाहता है। ऐसे लोग अक्सर कोई भी नई जिम्मेदारी आने से बेहद घबरा जाते हैं।

2. आसानी से हार मान जाते हैं :- परिस्थितियों से हार मानना मानसिक रुप से कमजोर होने की निशानी होती है। जो लोग मानसिक रुप से क्रिएटिव ब्लॉक होते हैं वे जीतने के लिए लड़ नहीं सकते और आसानी से हार मान जाते हैं।

3. दूसरों की सफलता से जलते हैं :- मानसिक रुप से मजबूत लोग दूसरों की सफलता से जलते हैं। लेकिन खुद सफल होने की कोशिश नहीं करते हैं। लगातार दूसरों को सफल और खुद को कम आंकना भी मानसिक रुप से क्रिएटिव ब्लॉक लोगों की निशानी होती है।

4. भरोसे की कमी :- खुद पर भरोसा ना होने के कारण आप आत्म-निर्भर नहीं बन सकते हैं। इससे आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति से अवरोधित हो जाते हैं। क्रिएटिव ब्लॉक में व्यक्ति खुद पर भरोसा नहीं करते और अक्सर हर काम से डरते रहते हैं। खुद पर यह संदेह ही उन्हें असफलता की ओर ले जाता है।

5. प्रतिस्पर्धा से दूर रहना :- जीत-हार जीवन का हिस्सा है। लेकिन अगर आप परीक्षा से ही डर जाएंगें तो सफल होने की कोई गुंजाईश ही नहीं रह जाती है। ऐसे लोग हार जाने के डर से किसी भी प्रतिस्पर्धा में भाग ही नहीं लेते और खुद को आगे बढ़ने का मौका नहीं देते हैं।
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◆ करे स्वस्थ मन का निर्माण और मिटाएँ अपना ब्लॉक :-

★ कुछ नया करने की कोशिश करें :- जब आप खुद पर कुछ रचनात्मक करने के लिए दबाव डालते हैं तो आप अपने तनाव को बढ़ा रहे होते हें। इस समस्या को दूर करने के सबसे आसान तरीका कुछ नया करना है। जब आप कुछ नया करने की सोचते हैं तो आपका दिमाग डाइवर्ट हो जाता है जिससे तनाव दूर होता है। एक बार जब तनाव चला जाता है तो आपको कुछ रचनात्मक करने में दिक्कत नहीं होती है।

★ दूसरों के क्रिएटिव वर्जन को फॉलो करें :- आपकी रचनात्मक चीजों को सबको दिखाना जरुरी होता है। कुछ रचनात्मक करने के साथ बाकि लोगों की रचना को देखने के लिए भी समय निकालें। यह आपको प्रेरित करने में मदद करते हैं।

★ परिणाम पर ध्यान ना दें :- बहुत से लोगों के क्रिएटिव ब्लॉक होने के पीछे का कारण किसी भी रचना का परिणाम सोचना होता है। वह रचना करते समय आनंद लेने की बजाय परिणाम के बारे में सोचकर परेशान होते रहते हैं। रचना करना आपको खुशी देता है ना कि तनाव देना इसलिए रचना करने की प्रक्रिया को तनावपूर्ण बनाने की बजाय छोटी-छोटी चीजों का आनंद लें।

★ ट्रेवल करें :- रोज के काम में आप इतने फंसे रहते हैं कि कुछ भी रचनात्मक करने के लिए प्रेरित नहीं हो पाते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका अपने रोज के रुटीन से बाहर आकर ट्रेवल करें। अगर आप कहीं दूर घूमने नहीं जा सकते हैं तो 1 घंटे घुमना भी काफी होता है।

★ सीमाओं से बाहर आएं :- रचनात्मक होने के लिए अपनी सीमाओं से बाहर जाने में हिजके नहीं। आप जितना नया सोचते हैं वह रचनात्मक काम करने में मदद करते हैं।


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